Question:

सांख्य दर्शन को द्वैतवादी क्यों कहते हैं?
 

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सांख्य = दो तत्त्व; "पुरुष (चेतन)" और "प्रकृति (अचेतन, त्रिगुण)"—यह सूत्र याद रखें।
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Solution and Explanation

Step 1: तत्त्व-युग्म.
पुरुष चेतना-साक्षी है; न करता, न भोक्ता—साक्षीमात्र। प्रकृति जड़, त्रिगुणात्मक मूलकारण है—महत्त, अहंकार, तन्मात्राएँ, इन्द्रियाँ, मन आदि इसी से विकसित होते हैं।

Step 2: बन्ध-मुक्ति सिद्धान्त.
अज्ञान से पुरुष प्रकृति के गुण-परिणामों को अपना मान लेता है; ज्ञान (विवेक) से भेद स्पष्ट होने पर प्रकृति की प्रवृत्ति रुकती है—यही कैवल्य।

Step 3: नैतिक-अन्वय.
गुण-संतुलन (विशेषतः सत्त्व-वृद्धि) साधन माना गया; योग-सहयोग से चित्त-शुद्धि होती है, जिससे विवेकख्याति पुख्ता बनती है।

Step 4: निष्कर्ष.
पुरुष–प्रकृति का मूलभूत भेद सांख्य की द्वैतवादिता का आधार है।

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