‘प्रेमचन्द जी विनोदी स्वभाव के थे।’ इस कथन के समर्थन में ‘प्रेमचन्द की छाया स्मृति’ पाठ से उदाहरण दीजिए।
धरती के तापमान में वृद्धि के लिए ‘अपना मालवा खाओ–उजाड़ सभ्यता में….’ पाठ में किसे जिम्मेदार ठहराया गया है? क्या इस तापमान वृद्धि में हमारी भी कोई भूमिका है? हम धरती के तापमान को नियंत्रित कैसे रख सकते हैं?
‘इसे सेस, सारथी भी नहीं बचा सकतें’ - ‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ में यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है? इसका क्या आशय है? इस संदर्भ में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
झोंपड़ी जला दिए जाने के बाद भी सूरदास का किसी से प्रतिशोध न लेना, उसके स्वभाव की किस विशेषता को दर्शाता है? सूरदास जैसे चरित्र की वर्तमान समय में क्या प्रासंगिकता है? स्पष्ट कीजिए।
बीमार व्यक्ति और लड़के के साथ गांधी जी के किए गए व्यवहार से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? स्पष्ट कीजिए।
‘हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रति शुक्ल जी का रुझान बाल्यकाल से था।’ ‘प्रेमचन्द की छाया स्मृति’ पाठ के आधार पर पुष्टि कीजिए।
The following question is based on pollination. Study the figures carefully and answer the questions that follow.
संचार का सबसे पुराना और लोकप्रिय माध्यम होने पर भी समाचार-पत्रों की तुलना में टी.वी. की लोकप्रियता का कारण लिखिए। (शब्द सीमा — लगभग 40 शब्द)
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
नाम बड़ा है या रूप? पद पहले है या पदार्थ?
पदार्थ सामने है, पद नहीं सूझ रहा है।
मन व्याकुल हो गया।
स्मृतियों के पंख फैलाकर सुदूर अतीत के कोनों में झाँकता रहा।
सोचता हूँ इसमें व्याकुल होने की क्या बात है?
नाम में क्या रखा है – 'बाह्यद देस्सर इन द नेम'!
नाम की ज़रूरत ही हो तो सौ दिए जा सकते हैं।
सुस्मिता, गिरिकांता धरतीधकेल, पहाड़फोड़, पातालभेद!
पर मन नहीं मानता।
नाम इसलिए बड़ा नहीं है कि वह नाम है।
वह इसलिए बड़ा होता है कि उसे सामाजिक स्वीकृति मिली होती है।
रूप व्यक्ति सत्य है, नाम समाज सत्य।
नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है।
आधुनिक शिक्षित लोग जिसे ‘सोशल सेन्शन’ कहते हैं।
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए : बड़ी बहुरिया के संवाद का प्रत्येक शब्द उसके मन में काँटे की तरह चुभ रहा है --
'किसके भरोसे यहाँ हूँगी? एक नौकर था, वह भी कल भाग गया।
गाय खूंटे से बंधी भूखी-प्यासी हिनक रही है।
मैं किसके लिए इतना दुख झेलूँ?' हरगोबिन ने अपने पास बैठे हुए एक यात्री से पूछा,
‘क्यों भाई साहेब, थाना विंधपुर में डाकगाड़ी रुकती है या नहीं?’ यात्री ने मानो कुकुरकर कहा, “थाना विंधपुर में सभी गाड़ियाँ रुकती हैं।” हरगोबिन ने भाँप लिया, यह आदमी चिड़चिड़े स्वभाव का है, इससे कोई बातचीत नहीं जमेगी।
वह फिर बड़ी बहुरिया के संवाद को मन-ही-मन दोहराने लगा लेकिन, संवाद सुनाते समय वह अपने क्लेशों को कैसे संभाल सकेगा!
बड़ी बहुरिया संवाद कहते समय जहाँ-जहाँ रोई है, वहाँ वह रोयेगा।