फूलीश्वर नाथ रेणु अवधी धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय निम्न बिंदुओं के आधार पर दीजिए:
(i) दो चरणाएँ
(ii) भाषा-शैली
(iii) साहित्य में स्थान
फूलीश्वर नाथ रेणु और धर्मवीर भारती का काव्य साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, और उनके साहित्यिक परिचय के निम्न बिंदु हैं:
1. **दो चरणाएँ:** उनके साहित्य में दो मुख्य पक्ष होते हैं – साहित्यिक संरचना और सामाजिक संदेश।
2. **भाषा-शैली:** उनकी भाषा शैली सरल और प्रवाहपूर्ण होती है, जो पाठकों को जोड़ने में सफल होती है।
3. **साहित्य में स्थान:** धर्मवीर भारती और फूलीश्वर नाथ रेणु ने भारतीय साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है, विशेषकर समाज की समस्याओं और मानसिकता को उजागर करने में।
निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
(iii) अज्ञेय
निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
(ii) जयशंकर प्रसाद
निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
(i) अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
(iii) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए। (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
(ii) हरिशंकर परसाई
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए:
(i) पर्यावरण की सुरक्षा
(ii) दुखों की उपयोगिता
(iii) विद्यार्थी और अनुशासन
(iv) राष्ट्रीय एकता और अखंडता
(v) इंटरनेट का दैनिक जीवन में अनुपयोग
परीक्षा की तैयारी की जानकारी देते हुए पिता को पत्र लिखिए।
द्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध लगाने हेतु जिला सचिव महोदय को प्रार्थना पत्र लिखिए।
निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए: गद्यांश: पैसा पावर है। पर उसके स्वभाव में आस-पास सालों तक जमा न जमा हो तो क्या वह ताकत पावर है! पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब सीट, पर माल-असबाब, मकान-कोठी तो अनदेखे भी दीखते हैं। पैसे के उस 'पेसींग पावर' के प्रयोग में ही पावर का खेल है।
निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए: गद्यांश: एक बार वह 'डांग' देखने श्यामनगर शेला गया। पहलवानों की कुस्ती और डांव-पेच देखकर उससे नहीं रहा गया। जवानी की मस्ती और होल की ललकारती हुई आवाज़ ने उसकी नसों में बिजली उत्पन्न कर दी। उसने बिना कुछ सोचे-समझे दंगल में 'शेर के बच्चों' को चुनौति दे दी।