Question:

पद में नियमनिर्देशपूर्वक विभक्ति का नाम लिखिए : सः नेत्रेण काणः अस्ति ।

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जब भी वाक्य में शरीर के किसी अंग में कोई दोष या कमी (जैसे- काना, लँगड़ा, बहरा) बताई जाए, तो उस अंग वाले शब्द में हमेशा तृतीया विभक्ति लगती है।
Updated On: Nov 17, 2025
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Solution and Explanation

पद: नेत्रेण
विभक्ति: तृतीया विभक्ति
नियम: 'येनाङ्गविकारः' सूत्र के अनुसार, शरीर के जिस अंग में कोई विकार दिखाई देता है, उस अंगवाचक शब्द में तृतीया विभक्ति होती है।
स्पष्टीकरण: इस वाक्य में 'नेत्र' (आँख) अंग में 'काणः' (कानापन) का विकार है। अतः, विकारयुक्त अंग 'नेत्र' में तृतीया विभक्ति ('नेत्रेण') का प्रयोग हुआ है।
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