Question:

पवित्रम् का सन्धि-विच्छेद है :

Show Hint

जातिवाद की समस्या को समाप्त करने के लिए शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और समान अवसरों का प्रावधान अनिवार्य है।
Updated On: Nov 11, 2025
  • पो+ इत्रम्
  • पो + त्रम्
  • पव + इत्रम्
  • पा + इत्रम्
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is C

Solution and Explanation

जातिवाद भारतीय समाज की एक पुरानी और जटिल समस्या है। जातिवाद का मुख्य कारण सामाजिक और ऐतिहासिक भेदभाव है, जो एक वर्ग को दूसरे से निम्न और उच्च मानता है। इस भेदभाव के कारण समाज में असमानता, असहमति और संघर्ष उत्पन्न होते हैं। जातिवाद न केवल समाज के विभिन्न हिस्सों को विभाजित करता है, बल्कि यह सामाजिक स्थिरता और समृद्धि में भी रुकावट डालता है। जातिवाद के कारण: जातिवाद के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहला कारण सामाजिक और सांस्कृतिक भेदभाव है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है। इसे धार्मिक विश्वासों और परंपराओं द्वारा भी बढ़ावा मिला है। भारतीय समाज में कुछ जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त थे, जबकि अन्य जातियों को हाशिए पर रखा गया था। इसके अलावा, राजनीतिक कारण भी जातिवाद को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि चुनावी लाभ के लिए जातीय विभाजन की राजनीति। आर्थिक असमानता भी जातिवाद का एक कारण है। जिन जातियों को शिक्षा, रोजगार, और अन्य संसाधनों से वंचित किया गया, वे लगातार पिछड़ी और गरीब बनीं। यह आर्थिक असमानता जातिवाद को और बढ़ाती है, क्योंकि समाज के कुछ हिस्से अपने विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करते हैं, जबकि अन्य अपने अधिकारों से वंचित रहते हैं। जातिवाद के निवारण के उपाय: जातिवाद की समस्या को समाप्त करने के लिए विभिन्न उपायों की आवश्यकता है। सबसे पहले, शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से समाज में समानता और बुराईयों के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए। यदि लोग अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं, तो वे जातिवाद के खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से कमजोर और पिछड़ी जातियों के लिए सामाजिक और आर्थिक अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। आरक्षण नीति के तहत शिक्षा, नौकरी और अन्य संसाधनों में समान अवसर प्रदान करना आवश्यक है। सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को प्रोत्साहित करना भी जातिवाद की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। लोगों को एक दूसरे के साथ समान व्यवहार करने और जातिवाद के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। समाज में समानता की भावना: जातिवाद के निवारण के लिए समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि किसी भी जाति या वर्ग के लोग एक ही समाज के सदस्य हैं और सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए। इसके लिए सरकार, समाज और व्यक्तिगत स्तर पर विभिन्न प्रयासों की आवश्यकता है। निष्कर्ष: जातिवाद एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो समाज में असमानता और असंतोष पैदा करती है। इसे समाप्त करने के लिए हमें शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है। जब तक समाज में समानता और न्याय की भावना नहीं होगी, तब तक जातिवाद समाप्त नहीं हो सकता। इसलिए, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस बुराई के खिलाफ संघर्ष करें और एक समान और निष्पक्ष समाज की स्थापना करें।
Was this answer helpful?
0
0