चरण 1: प्रश्न को समझें
यह प्रश्न 'पवित्र' शब्द में प्रयुक्त संधि के प्रकार की पहचान करने के लिए कहता है। यह हिंदी व्याकरण, विशेषकर स्वर संधि के नियमों से संबंधित है।
चरण 2: 'पवित्र' शब्द का संधि विच्छेद करें और नियम पहचानें
'पवित्र' शब्द का संधि विच्छेद है: पो + इत्र।
यह स्वर संधि का उदाहरण है, और विशेष रूप से अयादि संधि के नियम का पालन करता है।
अयादि संधि का नियम:
यदि 'ए' (e), 'ऐ' (ai), 'ओ' (o), 'औ' (au) के बाद कोई भिन्न स्वर आता है, तो:
'ए' का 'अय' (ay) हो जाता है।
'ऐ' का 'आय' (aay) हो जाता है।
'ओ' का 'अव' (av) हो जाता है।
'औ' का 'आव' (aav) हो जाता है।
नियम का अनुप्रयोग 'पवित्र' पर:
शब्द: पो + इत्र
'पो' में 'ओ' की मात्रा है।
'इत्र' में 'इ' स्वर है, जो 'ओ' से भिन्न है।
अयादि संधि के नियमानुसार, 'ओ' का परिवर्तन 'अव' में हो जाएगा।
तो, प + ओ + इत्र $\rightarrow$ प + अव् + इत्र $\rightarrow$ प + अ + व् + इत्र $\rightarrow$ पव् + इत्र $\rightarrow$ पवित्र।
चरण 3: विभिन्न विकल्पों का विश्लेषण करें
(A) गुण संधि: गुण संधि में 'अ/आ' के बाद 'इ/ई' आने पर 'ए', 'उ/ऊ' आने पर 'ओ' और 'ऋ' आने पर 'अर्' बनता है। 'पवित्र' इस नियम का पालन नहीं करता। (जैसे: परोपकार = पर + उपकार)
(B) दीर्घ संधि: दीर्घ संधि में समान स्वर मिलकर दीर्घ स्वर बनाते हैं (जैसे: अ + अ = आ, इ + इ = ई)। 'पवित्र' इस नियम का पालन नहीं करता। (जैसे: विद्यालय = विद्या + आलय)
(C) अयादि संधि: जैसा कि ऊपर व्याख्या की गई है, 'पवित्र' (पो + इत्र) अयादि संधि का एक आदर्श उदाहरण है।
(D) यण संधि: यण संधि में 'इ/ई' के बाद भिन्न स्वर आने पर 'य', 'उ/ऊ' के बाद भिन्न स्वर आने पर 'व' और 'ऋ' के बाद भिन्न स्वर आने पर 'र' बनता है। 'पवित्र' में 'व' 'ओ' से बना है, 'उ/ऊ' से नहीं। (जैसे: अत्यधिक = अति + अधिक)
चरण 4: सही उत्तर की पहचान करें
उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर, 'पवित्र' शब्द में अयादि संधि है।
सही उत्तर है $\boxed{\text{(C) अयादि संधि}}$।