चरण 1: अष्टाङ्ग-योग का क्रम।
पतंजलि योगसूत्र में साधना के आठ अंग बताए गए हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। इनमें यम पहला और आधारभूत नैतिक पायदान है जो साधक के सामाजिक-व्यवहार को शुद्ध करता है।
चरण 2: यम का स्वरूप।
यम के पाँच उपांग हैं—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह। इनका पालन चित्त को हिंसा, कपट, लोभ, विषय-आसक्ति और अधिक संग्रह से मुक्त कर आन्तरिक शान्ति का आधार बनाता है, जिससे आगे के अंग सहज होते हैं।
चरण 3: अन्य विकल्पों से भेद।
नियम दूसरा पायदान है—शौच, सन्तोष, तपस्, स्वाध्याय, ईश्वर-प्रणिधान। धारणा छठा और ध्यान सातवाँ पायदान है—ये अन्तर्मुख एकाग्रता और निरन्तर चिन्तन के चरण हैं। अतः योग-मार्ग का प्रथम पायदान यम ही है।