परार्थानुमान क्या है?
Step 1: स्वरूप.
स्वार्थानुमान निजी तर्क; परार्थानुमान सार्वजनिक प्रस्तुति जिसमें तर्क-क्रम स्पष्ट दिखाना पड़ता है।
Step 2: पाँच अवयव.
(1) प्रतिज्ञा—"पर्वतः अग्निमान।" (2) हेतु—"धूमवान।" (3) उदाहरण—"यत्र धूमः तत्राग्निः, यथा रसोई।" (4) उपनय—"पर्वते धूमः अस्ति।" (5) निगमन—"तस्मात् पर्वतः अग्निमान।"
Step 3: आवश्यकताएँ.
हेतु साधक, अव्याप्ति/असिद्धि/सव्यभिचार से मुक्त; उदाहरण से सामान्य नियम (व्याप्ति) प्रतिपादित; उपनय से प्रसंग-विधि।
Step 4: महत्त्व.
शास्त्रार्थ, न्यायालयीय तर्क और शास्त्रीय वाद-विवाद में परार्थानुमान मानक तर्क-रूप है।
योग दर्शन में 'चित्तवृत्ति निरोध' को क्या कहते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा एक पारार्थानुमान का घटक नहीं है?
वैशेषिक दर्शन का दूसरा नाम क्या है?
कितने पदार्थों को वैशेषिक स्वीकार करता है?
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक के लेखक कौन हैं?