पदार्थ के रूप में 'द्रव्य' की व्याख्या करें।
Step 1: परिभाषा.
जिसमें गुण व कर्म अधिष्ठित हों और जो समवाय-कारण बन सके—वह द्रव्य।
Step 2: नव-विद.
(1) पृथ्वी, (2) आप, (3) तेज, (4) वायु, (5) आकाश, (6) काल, (7) दिक्, (8) आत्मा, (9) मन—इनके स्वरूप, गुण और कार्य अलग हैं।
Step 3: नित्य–अनित्य.
परमाणु/आकाश/काल/दिक्/आत्मा नित्य; संयोजन-विशेष (घटादि) अनित्य।
Step 4: दार्शनिक भूमिका.
द्रव्य बिना गुण-कर्म का अधिष्ठान नहीं; ज्ञानमीमांसा में भी द्रव्य-ग्रहण इन्द्रियों के विषय-निश्चय का आधार बनता है।
योग दर्शन में 'चित्तवृत्ति निरोध' को क्या कहते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा एक पारार्थानुमान का घटक नहीं है?
वैशेषिक दर्शन का दूसरा नाम क्या है?
कितने पदार्थों को वैशेषिक स्वीकार करता है?
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक के लेखक कौन हैं?