न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान की परिभाषा दें।
Step 1: प्रक्रिया.
(क) किसी लिङ्ग (धूम) का पक्ष में दर्शन; (ख) लिङ्ग–साध्य की व्याप्ति की स्मृति—"जहाँ धूम, वहाँ अग्नि"; (ग) व्याप्ति को पक्ष पर लागू कर निष्कर्ष—"अतः पर्वत अग्निमान।"
Step 2: प्रकार.
पूर्ववत्—कारण से कार्य (मेघ देखकर वर्षा का अनुमान); सामान्यतोदृष्ट—सहसंबन्ध (सूर्योदय से दिन का अनुमान); शेषवत्—अन्य कारणों का अपवर्जन (नदी के जल-स्तर से वर्षा अनुमान)।
Step 3: हेत्वाभास-चेतावनी.
असिद्ध, सव्यभिचार, विरुद्ध, अनैकान्तिक, कालात्यय—ये दोष निष्कर्ष को अवैध बनाते हैं; उदाहरण/उपनय से इन्हें टालते हैं।
Step 4: निष्कर्ष.
अनुमान इन्द्रियातीत वस्तुओं के ज्ञान का विश्वसनीय साधन है, बशर्ते व्याप्ति यथार्थ और हेतु निर्दोष हो।
योग दर्शन में 'चित्तवृत्ति निरोध' को क्या कहते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा एक पारार्थानुमान का घटक नहीं है?
वैशेषिक दर्शन का दूसरा नाम क्या है?
कितने पदार्थों को वैशेषिक स्वीकार करता है?
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक के लेखक कौन हैं?