निम्नलिखित संस्कृत श्लोकों में से किसी एक श्लोक का संदर्भ-सहित हिंदी में अनुवाद कीजिए।
संस्कृत श्लोक:
जलविन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
सः हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च॥
संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक में निरंतर प्रयास और धीरे-धीरे अर्जित ज्ञान के महत्व को बताया गया है।
अनुवाद: जिस प्रकार पानी की बूंद-बूंद से घड़ा धीरे-धीरे भर जाता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी निरंतर प्रयास करके ज्ञान, धर्म और धन की प्राप्ति करनी चाहिए। निरंतर प्रयास और धैर्य से ही व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति कर सकता है।
माध्यमभाषया सरलार्थं लिखत। (2 तः 1)
मनुजा वाचनेनैव बोधनं विषयान् बहून्।
दक्षा भवन्ति कार्येषु वाचनेन बहुश्रुताः॥
माध्यमभाषया सरलार्थं लिखत। (2 तः 1)
यथैव सकला नद्यः प्रविशन्ति महोदधिम्।
तथा मानवताधर्मः सर्वे धर्माः समाग्रतः॥
श्लोक का अर्थ संस्कृत में लिखिए : पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् । मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।।
श्लोक का अर्थ संस्कृत में लिखिए : ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्येत, धर्मार्थौ चानुचिन्तयेत् । कायक्लेशाँश्च तन्मूलान् वेदतत्वार्थमेव च ।।
श्लोक की हिन्दी में व्याख्या कीजिए : अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृद्धोपसेविनः । चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ।।