चरण 1: अवधारणा समझें। 
वैश्वीकरण से उत्पादन, बाज़ार और वित्त का अंतरराष्ट्रीय एकीकरण तेज़ होता है। कंपनियाँ लागत-प्रतिस्पर्धा के लिए आउटसोर्सिंग, कॉन्ट्रैक्ट-हायरिंग, गिग-वर्क और लचीले श्रम का उपयोग बढ़ाती हैं। 
चरण 2: नकारात्मक प्रभाव—जॉब असुरक्षा। 
इस प्रतिस्पर्धा में परम्परागत स्थायी नौकरियाँ घटती हैं, छँटनी और अस्थायी अनुबंध बढ़ते हैं, वेतन-शर्तें अनिश्चित रहती हैं और कौशल-मेल न होने पर श्रमिकों में बेरोज़गारी/अध्रोज़गारी दिखती है। अतः कार्य की असुरक्षा वैश्वीकरण का प्रमुख नकारात्मक प्रभाव है। 
चरण 3: अन्य विकल्प क्यों नहीं। 
सार्वभौमिकता (वैश्विक दृष्टि/मानवाधिकार/मानक) और एकीकरण सामान्यतः सकारात्मक/तटस्थ परिणाम माने जाते हैं। सजातीयता (सांस्कृतिक समानरूपता) कभी-कभी आलोचना का विषय है, पर प्रश्न में स्पष्ट ''बुरा प्रभाव'' के रूप में सबसे प्रत्यक्ष उत्तर जॉब असुरक्षा है।