Question:

निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिए : 
गद्यांश क: गुरुनानकः स्वपित्रोरेक एव पुत्र आसीत् । अतः तस्य जन्मनाऽऽह्लादातिशयं तानुभवन्तौ स्नेहातिशयेन तस्य लालनं पालनं च कृतवन्तौ । बाल्यकालादेव तस्मिन् बालके लोकोत्तराः गुणाः प्रकटिता अभवन् । रहसि एकाकी एवोपविश्य नेत्रेऽअर्थोन्मील्य किञ्चिद् ध्यातुमिव दृश्यते स्म । 
गद्यांश ख: संस्कृतभाषा पुराकाले सर्वसाधारणजनानां वाग्व्यवहारभाषा चासीत् । तत्रेदं श्रूयते यत् पुरा कोऽपि नरः काष्ठभारं स्वशिरसि निधाय काष्ठं विक्रेतुमापणं गच्छति स्म । मार्गे नृपः तेनामिलदपृच्छच्च, भो भारं बाधति ? काष्ठभारवाहको नृपं तत् प्रश्नोत्तरस्य प्रसङ्गेऽवदत्, भारं न बाधते राजन् ! यथा बाधति बाधते । अनेनेदं सुतरामायाति यत्प्राचीनकाले भारतवर्षे संस्कृतभाषा साधारणजनानां भाषा आसीदिति ।

Show Hint

जब भी संस्कृत से हिंदी या अन्य भाषाओं में अनुवाद करें, तो सुनिश्चित करें कि आप शब्दों का सही रूप और अर्थ का ध्यान रखें, ताकि भावार्थ का सही रूप प्रस्तुत हो सके।
Updated On: Oct 10, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

चरण 1: अनुवाद प्रक्रिया को समझना।
जब हम गद्यांश का अनुवाद करते हैं, तो हमें मूल गद्यांश के अर्थ को सही ढंग से समझकर उसे दूसरी भाषा में उतारना होता है। यह कार्य भाषा की गहरी समझ और संदर्भ का सही उपयोग करके किया जाता है।
गद्यांश क का अनुवाद:
1. गुरुनानक की माता-पिता से संबंधित जानकारी: यह गद्यांश गुरुनानक के जन्म और उनके पालन-पोषण से जुड़ी जानकारी देता है। हम पहले 'स्वपित्रोरेक एव पुत्र' को अनुवादित करते हैं जिसका अर्थ है 'गुरुनानक अपने माता-पिता के अकेले पुत्र थे'।
2. बाल्यकाल में गुणों का प्रकट होना: 'बाल्यकालादेव तस्मिन् बालके लोकोत्तराः गुणाः प्रकटिता अभवन्' का अर्थ है कि बचपन से ही उनके अंदर अद्वितीय गुण प्रकट होने लगे थे।
3. आध्यात्मिक ध्यान: 'रहसि एकाकी एवोपविश्य नेत्रेऽअर्थोन्मील्य' का अनुवाद 'वह अकेले बैठकर ध्यान करते हुए अपने नेत्रों से कुछ गहरे अर्थों का मंथन करते थे' होगा।
गद्यांश ख का अनुवाद:
1. संस्कृत का सामान्य भाषा के रूप में उपयोग: इस गद्यांश में संस्कृत भाषा का सामान्य जनता के बीच प्रयोग वर्णित है। 'संस्कृतभाषा पुराकाले सर्वसाधारणजनानां वाग्व्यवहारभाषा चासीत्' का अर्थ है कि प्राचीन समय में संस्कृत सर्वसाधारण जनों के बीच संवाद की भाषा थी।
2. प्राचीन संवाद का उदाहरण: 'कोऽपि नरः काष्ठभारं स्वशिरसि निधाय काष्ठं विक्रेतुमापणं गच्छति स्म' का अर्थ है 'एक व्यक्ति अपने सिर पर लकड़ी का बोझ रखकर बाजार जाने के लिए निकल पड़ा था।'
3. राजा और व्यापारी के बीच संवाद: 'नृपः तेनामिलदपृच्छच्च' का अर्थ है 'राजा ने व्यापारी से पूछा कि क्या तुम्हारा भार भारी है?' और व्यापारी का उत्तर 'नहीं, राजन, यह भार मुझे कोई कठिनाई नहीं देता' है।
4. संस्कृत की सामान्य भाषा के रूप में उपयोग का संकेत: 'प्राचीनकाले भारतवर्षे संस्कृतभाषा साधारणजनानां भाषा आसीदिति' का अर्थ है कि पहले संस्कृत सामान्य जनों के बीच अधिक प्रचलित थी।
चरण 2: निष्कर्ष।
अंततः, गद्यांशों के अनुवाद में शब्दों और अर्थों को सही तरीके से प्रस्तुत करने के लिए संदर्भ का सही उपयोग करना आवश्यक है। दोनों गद्यांशों का अनुवाद करते समय हमें भाषा की गहरी समझ और संप्रेषण की दृष्टि से उचित शब्दों का चयन करना चाहिए।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on Sanskrit to Hindi

View More Questions