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निबन्ध लिखिए: विज्ञान - वरदान या अभिशाप।

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विज्ञान तभी वरदान है, जब इसका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए। यदि इसका दुरुपयोग किया जाए, तो यह अभिशाप बन सकता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तावना: विज्ञान ने मानव जीवन को सरल, सुविधाजनक और उन्नत बना दिया है। आज विज्ञान के कारण ही हम नई-नई खोजों, तकनीकी प्रगति और बेहतर जीवनशैली का आनंद ले रहे हैं। परंतु, विज्ञान के अत्यधिक और अनुचित प्रयोग से कई गंभीर समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं। यह एक दोधारी तलवार की तरह है, जिसका उपयोग यदि सही दिशा में किया जाए तो यह वरदान है, लेकिन यदि इसका दुरुपयोग हो तो यह अभिशाप बन सकता है।
विज्ञान का वरदान: विज्ञान ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करता है, जिससे हमें अनेक सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं।
चिकित्सा में प्रगति: विज्ञान ने चिकित्सा क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। पहले असाध्य माने जाने वाले रोगों के इलाज संभव हो गए हैं। नई दवाइयाँ, सर्जरी तकनीक, और कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण जैसी विधियाँ विज्ञान की ही देन हैं।
शिक्षा और संचार के साधन: इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। दूरस्थ शिक्षा आज संभव हो पाई है।
यातायात और औद्योगिकीकरण: विज्ञान ने परिवहन को तीव्र और आरामदायक बना दिया है। हवाई जहाज, रेलगाड़ियाँ और इलेक्ट्रिक वाहनों ने यात्राओं को सुगम कर दिया है। औद्योगिकीकरण ने उत्पादन क्षमता बढ़ाई और आर्थिक प्रगति को संभव बनाया।
खगोल और अंतरिक्ष विज्ञान: विज्ञान की मदद से मनुष्य ने चंद्रमा और मंगल ग्रह तक अपनी पहुँच बनाई है। अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में बड़े-बड़े प्रयोग हो रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में योगदान: नई तकनीकों के उपयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। उन्नत बीज, सिंचाई प्रणाली, और कृषि यंत्रों ने किसानों को लाभान्वित किया है।
विज्ञान का अभिशाप: जहाँ विज्ञान ने मानव जीवन को उन्नत बनाया है, वहीं इसके दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं। जब विज्ञान का उपयोग अनुचित रूप से किया जाता है, तो यह मानवता के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।
परमाणु हथियार: विज्ञान ने विनाशकारी परमाणु हथियारों को जन्म दिया है, जो किसी भी समय विश्व को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों ने इसकी भयावहता को स्पष्ट कर दिया।
प्रदूषण और पर्यावरण संकट: विज्ञान और औद्योगिकीकरण ने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। कारखानों से निकलने वाला धुआँ, प्लास्टिक कचरा और जल संसाधनों का दूषित होना आज की बड़ी समस्याएँ हैं।
बेरोजगारी: विज्ञान के विकास ने मशीनों को मानव श्रम का विकल्प बना दिया है। कई स्थानों पर रोबोट और स्वचालित यंत्रों के कारण मजदूरों की आवश्यकता कम हो गई है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है।
नैतिक पतन: विज्ञान के माध्यम से मनोरंजन के क्षेत्र में आई प्रगति ने लोगों को व्यसन और विलासिता की ओर आकर्षित कर दिया है, जिससे नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है।
साइबर क्राइम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का खतरा: विज्ञान ने डिजिटल दुनिया को जन्म दिया, लेकिन इसके साथ ही साइबर क्राइम, डेटा चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसी समस्याएँ भी सामने आई हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अधिक विकास से भी कई खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
विज्ञान का संतुलित उपयोग: विज्ञान एक शक्ति है, जिसका सही और संयमित उपयोग करना आवश्यक है। इसका उद्देश्य मानवता की सेवा करना होना चाहिए, न कि विनाश को आमंत्रण देना। यदि विज्ञान को नैतिकता और मानवीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाए, तो यह निश्चित रूप से केवल वरदान ही सिद्ध होगा। वैज्ञानिक खोजों और अनुसंधानों को समाज के कल्याण के लिए प्रयोग करना चाहिए, जिससे इसका दुरुपयोग रोका जा सके। निष्कर्ष: विज्ञान ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। यह मानव सभ्यता के लिए एक अमूल्य उपहार है, लेकिन इसका दुरुपयोग विनाशकारी हो सकता है। इसलिए, विज्ञान को सही दिशा में प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि यह समाज के विकास में सहायक हो सके। विज्ञान को एक वरदान के रूप में बनाए रखने के लिए नैतिकता और विवेक का पालन आवश्यक है।
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