Question:

नौवां रस है-

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रस सिद्धांत भारतीय काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। मूलतः आठ रस थे, जिन्हें 'अष्ट रस' कहते हैं। नौवां रस 'शांत रस' है, जिसे बाद में मान्यता मिली। कुछ विद्वान 'भक्ति रस' और 'वात्सल्य रस' को भी रसों में शामिल करते हैं, जिससे इनकी संख्या 11 तक हो जाती है, लेकिन 'शांत रस' ही 'नवम रस' के रूप में सर्वमान्य है।
Updated On: May 29, 2025
  • शांत रस
  • करुण रस
  • वीर रस
  • हास्य रस
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

चरण 1: प्रश्न को समझें
यह प्रश्न भारतीय काव्यशास्त्र में 'रस' सिद्धांत से संबंधित है, विशेषकर 'नवम रस' (नौवें रस) की पहचान करने के लिए कहता है। 'रस' का अर्थ काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से प्राप्त होने वाला आनंद या अनुभूति है। चरण 2: रस सिद्धांत के इतिहास और मुख्य रसों को जानें
भारतीय काव्यशास्त्र के प्रणेता भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में आठ प्रकार के रसों का उल्लेख किया है, जिन्हें 'अष्ट रस' कहा जाता है: (A) श्रृंगार रस (प्रेम, रति) (B) हास्य रस (हँसी, हास) (C) करुण रस (शोक, दुख) (D) रौद्र रस (क्रोध) (E) वीर रस (उत्साह) (F) भयानक रस (भय) (G) बीभत्स रस (जुगुप्सा, घृणा) (H) अद्भुत रस (विस्मय, आश्चर्य) भरतमुनि के बाद, आचार्य अभिनवगुप्त और अन्य आचार्यों ने नवें रस के रूप में 'शांत रस' को मान्यता दी। चरण 3: विकल्पों का विश्लेषण करें

(A) शांत रस: यह वह रस है जिसे बाद में, अभिनवगुप्त द्वारा, नौवें रस के रूप में मान्यता दी गई। इसका स्थायी भाव 'निर्वेद' (वैराग्य) या 'शम' (शांति) होता है। यह शांति, वैराग्य और सांसारिक मोह से मुक्ति की अनुभूति कराता है।
(B) करुण रस: यह आठ मूल रसों में से एक है, जिसका स्थायी भाव 'शोक' होता है।
(C) वीर रस: यह भी आठ मूल रसों में से एक है, जिसका स्थायी भाव 'उत्साह' होता है।
(D) हास्य रस: यह भी आठ मूल रसों में से एक है, जिसका स्थायी भाव 'हास' (हँसी) होता है। चरण 4: सही उत्तर की पहचान करें
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि 'शांत रस' ही नौवां रस है जिसे रस परंपरा में जोड़ा गया। सही उत्तर है $\boxed{\text{(A) शांत रस}}$।
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