Question:

मालवा में ऋतु परिवर्तन के प्रभाव स्वरूप पहले कौन-से बदलाव होते थे ? वर्तमान में उसमें क्या अंतर आया है ? इस अंतर के कारणों की पड़ताल कीजिए ।

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जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है, ताकि हम अपने पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित रख सकें।
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Solution and Explanation

‘मालवा’ क्षेत्र में ऋतु परिवर्तन के दौरान जो बदलाव होते थे, वे अब के मुकाबले अधिक सजीव और प्राकृतिक होते थे। पहले मालवा में ऋतु परिवर्तन के साथ मौसम की स्वाभाविकता बनी रहती थी। गर्मी के मौसम में जहां सूरज की तपिश होती थी, वहीं सर्दियों में ठंडक का अहसास होता था। बारिश के मौसम में खेतों में हरियाली फैल जाती थी और मनुष्य और प्रकृति के बीच एक सजीव संबंध बनता था। ऋतु परिवर्तन के दौरान हवा में ताजगी, मिट्टी की खुशबू और ठंडी हवा इस इलाके के हर व्यक्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा होती थी।
लेकिन अब जो बदलाव आए हैं, वे इस स्वाभाविक ऋतु परिवर्तन से बहुत भिन्न हैं। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, और जलवायु में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण ऋतु परिवर्तन अब उतना गहरा और प्राकृतिक नहीं रहा। गर्मी की लहरें पहले के मुकाबले अधिक तीव्र हो गई हैं, ठंडक में कमी आई है, और बारिश का मौसम अब अनियमित हो गया है। इस अंतर के मुख्य कारण मानव गतिविधियाँ हैं — विशेष रूप से बढ़ते हुए कार्बन उत्सर्जन, वनों की अंधाधुंध कटाई और औद्योगिकीकरण। इन कारणों से मौसम के पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे ऋतु परिवर्तन के प्रभाव में भी बदलाव आया है।
इस बदलाव से निपटने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और सतत विकास की दिशा में प्रयास करना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा, हमें जलवायु के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने की आवश्यकता है ताकि हम भविष्य में इन परिवर्तनों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
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