चरण 1: पहचान।
महायान बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखा है (दूसरी है हीनयान/थेरवाद)। इसका मूल आदर्श बोधिसत्व है—स्व-कल्याण के साथ सर्व-प्राणियों के कल्याण हेतु बुद्धत्त्व का व्रत।
चरण 2: मुख्य विशेषताएँ।
महायान में प्रज्ञा–करुणा का समन्वय, शून्यता की मीमांसा (नागार्जुन का माध्यमक), चित्तमात्र/योगाचार (असंग–वसुबंधु), बुद्ध-धातु/तथागत-गर्भ और प्रज्ञापारमिता पर बल मिलता है। ग्रन्थों में सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र (Lotus), लंकावतार, हृदय/वज्र आदि प्रमुख हैं। भूगोलतः इसका प्रसार चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मंगोलिया आदि में हुआ।
चरण 3: विकल्पों का उन्मूलन।
जैन का महायान से सम्बन्ध नहीं; न्याय और सांख्य आस्तिक भारतीय दर्शनों की स्वतंत्र प्रणालियाँ हैं। अतः महायान बौद्ध दर्शन की शाखा है—विकल्प (2) सही।