Question:

बुद्ध के अष्टाङ्गिक मार्ग के प्रथम दो (सम्यक दृष्टि एवं सम्यक संकल्प) को क्या कहा जाता है? 
 

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अष्टाङ्गिक मार्ग को याद करें—प्रज्ञा: दृष्टि–संकल्प; शील: वाणी–कर्म–आजीविका; समाधि: प्रयास–स्मृति–समाधि।
  • प्रज्ञा
  • शील
  • समाधि
  • इनमें से कोई नहीं
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

चरण 1: अष्टाङ्गिक मार्ग की त्रि-श्रेणी।
बौद्ध धर्म में अष्टाङ्गिक मार्ग को तीन प्रशिक्षणों में बाँटा जाता है—प्रज्ञा (बुद्धि/ज्ञान), शील (नैतिक आचरण) और समाधि (मानसिक अनुशासन)। यह विभाजन साधक को क्रमबद्ध साधना का ढाँचा देता है।
चरण 2: अंग–श्रेणी का मिलान।
प्रज्ञा के अंतर्गत दो अंग आते हैं—सम्यक दृष्टि (यथार्थ समझ: दुःख, समुदय, निरोध, मार्ग की सम्यक बोध) और सम्यक संकल्प (त्याग, मैत्री/अहिंसा, करुणा से युक्त संकल्प)। शील में सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका; समाधि में सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि आते हैं।
चरण 3: विकल्पों का उन्मूलन।
क्योंकि प्रथम दो अंग प्रज्ञा श्रेणी में स्थित हैं, अतः न शील (जो अगले तीन अंगों का समूह है) और न समाधि (अंतिम तीन) उपयुक्त है। इसलिए सही उत्तर प्रज्ञा है।
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