चरण 1: संस्कृतिकरण का सार। 
एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई अपेक्षाकृत निम्न स्थिति वाली जाति उच्च वर्ण/उच्च प्रतिष्ठित समूहों के रीति–रिवाज, भोजन, पूजा, शुद्धता के नियम, जीवन-शैली अपनाकर सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने की कोशिश करती है। 
चरण 2: प्रत्याशित समाजीकरण का अर्थ। 
प्रत्याशित समाजीकरण (anticipatory socialization) का अर्थ है—व्यक्ति/समूह उस संदर्भ समूह के मानदंड–मूल्य पहले से सीख लेता है, जिसमें वह भविष्य में शामिल होना चाहता है; यह अवधारणा रॉबर्ट के. मर्टन ने दी। 
चरण 3: दोनों का सेतु—योगेन्द्र सिंह। 
योगेन्द्र सिंह (Modernization of Indian Tradition) ने स्पष्ट किया कि संस्कृतिकरण वस्तुतः प्रत्याशित समाजीकरण जैसा ही है—निम्न जाति ऊर्ध्व-समूह (आमतौर पर द्विज) को reference group मानकर उसके नियम पहले ही अपना लेती है ताकि प्रतिष्ठा और स्थिति में उन्नति संभव हो। यही कारण है कि उन्होंने संस्कृतिकरण को प्रत्याशित समाजीकरण की प्रक्रिया कहा। अन्य विकल्पों—एस. सी. दूबे, के. डेविस, सी. एच. कूले—ने ऐसा प्रतिपादन नहीं किया।