चरण 1: पद की पहचान।
सम्यक् समाधि बौद्ध धर्म के आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग का आठवाँ अंग है—सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाक, कर्मान्त, आजीव, प्रयास, स्मृति और सम्यक् समाधि। यहाँ समाधि का अर्थ है चित्त का एकाग्र, स्थिर और निर्मल अवस्थीकरण, जिसे ध्यान-जानों (झान/ध्यान) द्वारा साधा जाता है, ताकि तृष्णा-क्षय और निर्वाण का मार्ग प्रशस्त हो।
चरण 2: भेद स्पष्ट करें।
यद्यपि योग दर्शन में भी "समाधि" शब्द (अष्टाङ्ग—धारणा, ध्यान, समाधि) आता है, पर "सम्यक् समाधि" की तकनीकी संज्ञा और उसका नैतिक–सम्यक् संदर्भ विशेषतः बौद्ध अष्टाङ्गिक मार्ग में ही मिलता है। जैन और न्याय दर्शनों में यह पद इस रूप में मानक नहीं।
चरण 3: निष्कर्ष/उन्मूलन।
अतः "सम्यक् समाधि" का वर्णन बौद्ध दर्शन में है; अन्य विकल्प या तो अलग अर्थ में "समाधि" लेते हैं (योग) या इस पद का प्रयोग नहीं करते।