'करुण रस' अथवा 'शान्त रस' का स्थायी भाव के साथ उदाहरण अथवा परिभाषा लिखिए
करुण रस का स्थायी भाव 'शोक' होता है, जो दुख और पीड़ा के कारण उत्पन्न होता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति या पात्र की दीन-हीन स्थिति, असमर्थता या दुखद परिस्थिति दर्शाई जाती है।
उदाहरण: राम का वनवास और सीता का अपहरण करुण रस के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जिसमें राम और सीता की स्थिति दर्शाकर शोक उत्पन्न होता है।
शान्त रस का स्थायी भाव 'शांति' होता है, जो मानसिक संतुलन, निरवेद और धैर्य से जुड़ा होता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी स्थिति को शांतिपूर्वक स्वीकार किया जाता है और दुखों के बीच भी शांति बनी रहती है।
उदाहरण: भगवान श्रीराम का वनवास के समय शांति से जीवन बिताना शान्त रस का एक अच्छा उदाहरण है।
करुण रस अथवा शान्त रस का लक्षण के साथ उदाहरण लिखिए।
शांत अथवा वात्सल्य रस की परिभाषा लिखकर उसका उदाहरण दीजिए।
'संयोग श्रृंगार' रस अथवा 'करुण' रस का लक्षण सहित एक उदाहरण लिखिए।
'विभाव' (विस्तारक) श्रृंगार रस अथवा 'करण' रस का संक्षेप में उदाहरण अथवा परिभाषा लिखिए।
हर्ष रस अथवा 'द्वार' रस का स्थायी भाव के साथ उदाहरण परिभाषा लिखिए।