Question:

‘कर्मण्य गत कर्मों का अर्पण कर, करता मैं तेरा तर्पण’ – पंक्ति के संदर्भ में निराशा जी की विश्वासता और पीड़ा का वर्णन कीजिए।
 

Show Hint

यह पंक्ति हमें सिखाती है कि हार और असफलता भी तब अर्थपूर्ण हो जाती हैं जब उन्हें श्रद्धा के साथ अर्पित किया जाए।
Updated On: Jul 18, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

इस पंक्ति में काव्यात्मक वक्ता अपनी जीवन यात्रा की विफलताओं, संघर्षों और करुणा को प्रभु के चरणों में समर्पित करता है।
‘कर्मण्य गत कर्मों’ का अर्थ है — जीवन में किए गए सभी कर्म जो परिणाम से रहित या निष्फल रहे।
इन सबको वह श्रद्धांजलि रूप में ईश्वर को समर्पित कर रहा है — यही ‘तेरा तर्पण’ है।
यह पंक्ति गहन आस्था, त्याग और आत्मसमर्पण की भावना को दर्शाती है।
यहाँ निराशा नहीं, बल्कि जीवन की कटु सच्चाइयों को स्वीकार कर परमशक्ति में विश्वास की झलक है।
वक्ता इस तथ्य को जानता है कि हर कर्म सफल नहीं होता, परन्तु उसका आध्यात्मिक मूल्य अवश्य होता है।
यह आत्मबल और विश्वास की चरम सीमा है, जहाँ व्यक्ति जीवन की असफलताओं को भी भक्ति में बदल देता है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on हिंदी साहित्य

View More Questions

Questions Asked in CBSE CLASS XII exam

View More Questions