Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कई बार मनुष्य अपने अनुचित कार्यों या अवांछनीय स्वभाव के संबंध में दुखी होता है और सोचता है कि उन्हें वह छोड़ दे। उन कृत्यों की प्रतिक्रिया उसने देखी-भाली होती है। उसे परामर्श और उपदेश भी उसी प्रकार के मिलते रहते हैं, जिनमें सुधार करने की अपेक्षा रहती है। सुनने में यद्यपि वे सारगर्भित परामर्श होते हैं, किंतु जब छोड़ने की बात आती है तो मन मुंह मोड़ जाता है। अभ्यास प्रकृति को छोड़ने के लिए मन सहमत नहीं होता। आर्थिक हानि, बदनामी, स्वास्थ्य की क्षति, मानसिकलज्जा, आदि अनुभवों के कारण बार-बार सुधरने की बात सोचने और समय आने पर उसे न कर पाने से मनोबल टूटता है। बार-बार मनोबल टूटने पर व्यक्ति इतना दुर्बल हो जाता है कि उसे यह विश्वास ही नहीं होता कि उसका सुधार हो सकता है और यह कल्पना करने लगता है कि जीवन ऐसे ही बीत जाएगा और दुर्ब्यसनों से किसी भी प्रकार मुक्ति नहीं मिल सकेगी।

यह सर्वविदित बात है कि मनुष्य अपने मन का स्वामी है, शरीर पर भी उसका अधिकार है। सामान्य जीवन में वह अपनी अभिरुचि के अनुसार ही सोचकर कार्य करता है। किंतु दुर्ब्यसनों के संबंध में ही ऐसी क्या बात है कि वे चाहकर भी नहीं छूट पातीं और प्रयास करने के बावजूद भी सिर पर ही सवार रहती हैं।

अंधविश्वास, दिखावा, खींची शादियाँ, कृत्रिमता, तर्कहीन रीति-रिवाज जैसी अनेक कुरीतियाँ ऐसी हैं, जिन्हें बुद्धि-विवेक और तर्क के आधार पर हर कोई नकारता है, फिर छोड़ देने का समय आता है तो सभी पुराने अभ्यास चिंतन पर चल पड़ते हैं और वही करना होता है, जिसे न करने की बात अनेक बार सोची रहती है।

Question: 1

मृत्यु अनुचित कथाओं को क्यों छोड़ना चाहता है? 
 

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ऐसे प्रश्नों में विकल्पों को केवल सतही रूप से न देखें, बल्कि उनके पीछे की संवेदनात्मक और वैचारिक पृष्ठभूमि को समझने की कोशिश करें। गद्यांश के भीतर निहित मानवीय दृष्टिकोणों को पहचानना आवश्यक है।
Updated On: Jul 31, 2025
  • दुःखद अंत होने के कारण
  • सुखद होने के कारण
  • आकर्षक होने के कारण
  • प्रेरणास्पद होने के कारण
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

गद्यांश में मृत्यु को एक संवेदनशील और विवेकशील चरित्र के रूप में चित्रित किया गया है, जो केवल क्रिया-प्रक्रियाओं को निभाने वाला यांत्रिक पात्र नहीं है, बल्कि उसे मानवीय भावनाओं की समझ और उनके प्रति संवेदना भी है। गद्यांश के प्रारंभ में ही बताया गया है कि मृत्यु अपने द्वारा निभाई गई “अनुचित या अकाल मृत्यु” की घटनाओं को स्मरण करके दुखी होती है और कई बार वह उन्हें पीछे छोड़ देना चाहती है।
ये कथाएँ जो उसे दुखी करती हैं, वे आकर्षक या प्रेरणादायक नहीं, बल्कि ऐसी कहानियाँ हैं जो त्रासदी, अन्याय, पीड़ा और अधूरी इच्छाओं से भरी होती हैं। मृत्यु उन्हें छोड़ना चाहती है क्योंकि वे जीवन के अंत का ऐसा चित्र प्रस्तुत करती हैं, जिसमें न न्याय है, न संतुलन और न ही करुणा का अवसान — सिर्फ पीड़ा का अनुभव।
गद्यांश से उद्धरण: "वह कथाएँ उसे दुखी करती हैं, वह उन्हें छोड़ देना चाहती है।" यह पंक्ति यह दर्शाती है कि मृत्यु उन कथाओं से पीछा छुड़ाना चाहती है जो अनावश्यक या अनुचित अंत की ओर ले जाती हैं।
ऐसे दुखद अंत वाली कथाओं में प्रायः जीवन की विफलता, सामाजिक असमानता, आकांक्षाओं का दमन और अमानवीयता की घटनाएँ होती हैं, जो मृत्यु के लिए भी एक बोझ बन जाती हैं। वह सिर्फ प्रक्रिया नहीं है, बल्कि वह अपने अनुभवों से सीखती है, और उन्हीं के आधार पर वह यह निर्णय लेती है कि कौन सी कथाएँ उसे छोड़ देनी चाहिए।
अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि मृत्यु “दुःखद अंत होने के कारण” अनुचित कथाओं को छोड़ना चाहती है, न कि इसलिए कि वे प्रेरणादायक, आकर्षक या सुखद हैं।
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Question: 2

गद्यांश के अनुसार व्यक्ति के कृत्यों पर उसे किस प्रकार के परामर्श मिलते हैं? 
 

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ऐसे प्रश्नों में गद्यांश की उन पंक्तियों पर ध्यान दें जहाँ लेखक स्पष्ट शब्दों में उत्तर देता है। उन शब्दों को पहचानना और सही विकल्प से मेल करना महत्वपूर्ण होता है।
Updated On: Jul 31, 2025
  • सुधारात्मक
  • प्रचारात्मक
  • उपेक्षात्मक
  • स्वीकारात्मक
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

गद्यांश में बताया गया है कि जब कोई व्यक्ति समाज या स्वयं के द्वारा स्थापित किसी नियम या अपेक्षा का उल्लंघन करता है, या कोई अनुचित कार्य करता है, तो उसे केवल दंड या बहिष्कार ही नहीं, बल्कि परामर्श और मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है। यह परामर्श उसे सुधार की दिशा में प्रेरित करता है।
यह बात इस पंक्ति से स्पष्ट होती है — "व्यक्ति के कृत्यों पर उसे परामर्श मिलते हैं — सुधारात्मक परामर्श।" यहाँ पर स्पष्ट रूप से “सुधारात्मक परामर्श” शब्द का प्रयोग हुआ है, जो बताता है कि समाज, धर्म, संस्कृति और परंपरा व्यक्ति को अपनी त्रुटियों को समझने और उन्हें सुधारने का अवसर प्रदान करते हैं।
यह परामर्श न केवल उसे गलत से सही की ओर ले जाने का प्रयास करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में व्यक्ति के सुधार की संभावना को नकारा नहीं जाता। इसलिए इन परामर्शों का स्वरूप उपेक्षात्मक या स्वीकारात्मक नहीं, बल्कि सुधारात्मक होता है।
प्रचारात्मक परामर्श किसी विचार या वस्तु के प्रचार हेतु होते हैं, जबकि उपेक्षात्मक का अर्थ है उपेक्षा करना और स्वीकारात्मक का अर्थ है मौन स्वीकृति देना — जो गद्यांश की भावना के विपरीत है।
इसलिए एकमात्र उपयुक्त उत्तर है — (A) सुधारात्मक
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Question: 3

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
कथन I : मन अभ्यस्त प्रकृति छोड़ने के लिए सहमत हो जाता है।
कथन II : मन को अभ्यस्त प्रकृति छोड़ने के लिए कोई परामर्श नहीं मिलता।
कथन III : मन अभ्यस्त प्रकृति छोड़ने से असहमत ही रहता है।
कथन IV : सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण व्यक्ति का मन अवांछनीय कृत्यों को छोड़ने के लिए सहमत नहीं होता।

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ऐसे प्रश्नों में प्रत्येक कथन को गद्यांश की विशिष्ट पंक्तियों से मिलाकर जांचना चाहिए। सही उत्तर वही होता है जो गद्यांश के अर्थ और संकेत के बिल्कुल अनुरूप हो।
Updated On: Jul 30, 2025
  • केवल कथन I और III सही हैं।
  • केवल कथन II और III सही हैं।
  • केवल कथन III और IV सही हैं।
  • केवल कथन I और IV सही हैं।
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

गद्यांश के अनुसार मन अपनी अभ्यस्त प्रवृत्तियों को आसानी से नहीं छोड़ता। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि व्यक्ति यदि किसी आदत का वर्षों से पालन करता आ रहा है, तो वह उस आदत से मुक्त नहीं होना चाहता, भले ही वह गलत ही क्यों न हो। इस बात को कथन III में पूरी तरह दर्शाया गया है — "मन अभ्यस्त प्रकृति छोड़ने से असहमत ही रहता है।"
कथन IV भी गद्यांश में निहित विचारों के अनुरूप है। लेखक ने सामाजिक प्रतिष्ठा, पारिवारिक बंधन, लोकलाज इत्यादि को उस कारण के रूप में चिन्हित किया है जो व्यक्ति को अपने अवांछनीय कृत्यों को त्यागने से रोकते हैं। गद्यांश में कहा गया है कि व्यक्ति इन्हीं बातों के कारण स्वयं को गलत कार्यों से भी अलग नहीं कर पाता — जिससे स्पष्ट होता है कि कथन IV भी सही है।
अब अन्य दो कथनों पर विचार करें:
कथन I कहता है — "मन सहमत हो जाता है", जबकि गद्यांश में ठीक इसका विरोध है। अतः कथन I ग़लत है।
कथन II कहता है — "कोई परामर्श नहीं मिलता", जबकि गद्यांश में कहा गया है कि व्यक्ति को “सुधारात्मक परामर्श” मिलते हैं। अतः कथन II भी ग़लत है।
इसलिए केवल कथन III और IV सही हैं।
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Question: 4

अवांछनीय स्वभाव की हानियाँ कौन-कौन सी हैं?

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जब किसी स्वभाव या प्रवृत्ति की हानियाँ पूछी जाएँ, तो उनके व्यक्तिगत, सामाजिक एवं मानसिक पहलुओं को शामिल करें।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

अवांछनीय स्वभाव व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की हानियाँ उत्पन्न करता है —
1. यह उसकी मानसिक एवं सामाजिक उन्नति में बाधक बनता है।
2. व्यक्ति इन आदतों को छोड़ना तो चाहता है, परंतु सामाजिक प्रतिष्ठा, डर और अभ्यस्त प्रवृत्ति के कारण वह ऐसा नहीं कर पाता।
3. यह स्वभाव व्यक्ति के आत्मबल को भी क्षीण करता है और वह स्वयं के प्रति भी अपराध-बोध से भर जाता है।
4. अंततः यह उसे भीतर से तोड़ देता है और मानसिक रूप से कमजोर बना देता है।
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Question: 5

मनुष्य का मनोबल टूटने का क्या परिणाम होता है? 
 

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'मनोबल' का संबंध आत्मिक शक्ति से है — ऐसे उत्तरों में आत्मविश्वास, दृढ़ता और नैतिक निर्णय का विश्लेषण करें।
Updated On: Jul 31, 2025
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Solution and Explanation

जब मनुष्य का मनोबल टूटता है, तो उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है और सही–गलत में अंतर करने की क्षमता भी खो देता है। गद्यांश के अनुसार — मनोबल टूटने से व्यक्ति यह सोचने लगता है कि वह जिस बुराई को छोड़ना चाहता था, वही अब उसका भाग्य है और उसे अपनाना ही होगा। इस प्रकार मनोबल टूटने से मनुष्य अपने भीतर की शक्ति को नकारने लगता है और हार मान बैठता है।
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Question: 6

मनुष्य दुष्प्रवृत्तियों को क्यों नहीं छोड़ पाता?

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जब ‘क्यों नहीं छोड़ पाता’ पूछा जाए — तो मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक कारणों की गहराई से विवेचना करें।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश के अनुसार मनुष्य अपनी दुष्प्रवृत्तियों को इसलिए नहीं छोड़ पाता क्योंकि —
1. वह उनसे अभ्यस्त हो चुका होता है और बार-बार करने से उनका आदी बन जाता है।
2. सामाजिक प्रतिष्ठा या लोकलाज के भय से वह उन्हें बनाए रखता है।
3. मनोबल का अभाव और आत्म-प्रवंचना उसे अंदर ही अंदर तोड़ती है, पर वह बाहर से दिखाता है कि वह ठीक है।
4. अंततः इन दुष्प्रवृत्तियों को वह अपना स्वभाव मानकर जीने लगता है और छोड़ने का प्रयास भी नहीं करता।
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Question: 7

जिस काम को मनुष्य नहीं करने की सोचता है, उसी काम को वह फिर से क्यों करने लग जाता है?

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यह प्रश्न मनोविज्ञान और व्यवहार के स्तर पर आधारित है — विचार और व्यवहार के अंतर्विरोध को उत्तर में शामिल करें।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश के अनुसार — मनुष्य कई बार किसी कार्य से दुखी होकर उसे छोड़ने का निश्चय करता है, परंतु कुछ समय पश्चात् वही काम पुनः करने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि —
1. उस कार्य का प्रभाव उसकी प्रवृत्ति में समा चुका होता है।
2. सामाजिक आदतें और मानसिक लाचारी उसे उस कार्य की ओर फिर खींच लाती हैं।
3. उसका मन बार-बार उसी काम में राहत और परिचय का अनुभव करता है, जिससे वह उसे छोड़ नहीं पाता।
4. अंततः उसे वही कार्य फिर से सहज प्रतीत होने लगता है और वह उसमें पुनः डूब जाता है।
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