Question:

"कः कस्य पुरुषो बन्धुः किमाप्यं कस्य केनचित् एको हि जायते जन्तुरेकरेव विनश्यति ।" - इत्यत्र कः अलङ्कारः ?

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अर्थान्तरन्यास को पहचानने का सरल तरीका: देखें कि क्या श्लोक में एक पंक्ति सूक्ति या सामान्य सत्य (जैसे "विपत्ति में ही मित्रों की पहचान होती है") है जो दूसरी पंक्ति की बात को सिद्ध कर रही है।
Updated On: Sep 9, 2025
  • यमकम्
  • अनुप्रासः
  • रूपकम्
  • अर्थान्तरन्यासः
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
यह प्रश्न दिए गए श्लोक में अलंकार की पहचान करने से संबंधित है।
Step 2: Detailed Explanation:
आइए श्लोक का अर्थ और अलंकारों के लक्षणों पर विचार करें:

श्लोक का अर्थ: "कौन किसका पुरुष है, कौन किसका बंधु है, किसका किसके साथ क्या संबंध है? प्राणी अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही नष्ट हो जाता है।"
अर्थान्तरन्यास अलंकार: इसका लक्षण है, "सामान्यं वा विशेषो वा तदन्येन समर्थ्यते, यत्र सोऽर्थान्तरन्यासः..." अर्थात् जहाँ किसी सामान्य कथन का विशेष कथन से या विशेष कथन का सामान्य कथन से समर्थन किया जाए, वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
इस श्लोक में, पहली पंक्ति एक विशेष कथन है, जिसमें सांसारिक संबंधों की निरर्थकता पर प्रश्न उठाया गया है ("कौन किसका बंधु है?")। दूसरी पंक्ति एक सामान्य सत्य ("प्राणी अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही नष्ट हो जाता है") कहकर पहली पंक्ति के विशेष कथन का समर्थन करती है। चूँकि एक सामान्य सत्य द्वारा एक विशेष बात का समर्थन किया गया है, यहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार है।

यमक: सार्थक होने पर भिन्न-भिन्न अर्थ वाले वर्ण-समूहों की पुनरावृत्ति। यहाँ ऐसा नहीं है।
अनुप्रास: व्यंजनों की समानता। यहाँ यह प्रमुख अलंकार नहीं है।
रूपक: उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप। यहाँ ऐसा नहीं है।
Step 3: Final Answer:
अतः, इस श्लोक में अर्थान्तरन्यास अलंकार है।
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