झोंपड़ी जलने के बाद भी स्वयं पर नियंत्रण रखने वाला सूरदास कब और क्यों बिलख-बिलख कर रोने लगा ? इस घटना के माध्यम से मनुष्य के स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ?
“सूक होइ बायस, पयउ चढ़त गिरि बर गहन।
जानु कृपानी सो दयालु, द्रवह सकल कबि मत कहन।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा छंद है?
निम्नलिखित में से शब्दालंकार का भेद नहीं है –
(A) अनुप्रास
(B) श्लेष
(C) उत्प्रेक्षा
(D) रूपक
(E) उत्क्रम
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
सूची-I (रस) | सूची-II (स्थायी भाव) |
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(A) रौद्र | (II) क्रोध |
(B) वीर | (I) उत्साह |
(C) भयानक | (IV) भय |
(D) शान्त | (III) शंका |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
“वीर तुम बढ़े चलो, वीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की गर्जना हो।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
सूची-I (लेखक) | सूची-II (रचना) |
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(A) जयशंकर प्रसाद | (III) कामायनी |
(B) सुमित्रानंदन पंत | (IV) उच्छवास |
(C) महादेवी वर्मा | (I) यामा |
(D) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | (II) राम की शक्ति पूजा |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
‘‘पुर्ज़े खोलकर फिर ठीक करना उतना कठिन काम नहीं है, लोग सीखते भी हैं, सिखाते भी हैं, अनाड़ी के हाथ में चाहे घड़ी मत दो पर जो घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास कर आया है उसे तो देखने दो । साथ ही यह भी समझा दो कि आपको स्वयं घड़ी देखना, साफ़ करना और सुधारना आता है कि नहीं । हमें तो धोखा होता है कि परदादा की घड़ी जेब में डाले फिरते हो, वह बंद हो गई है, तुम्हें न चाबी देना आता है न पुर्ज़े सुधारना तो भी दूसरों को हाथ नहीं लगाने देते इत्यादि ।’’