Question:

झोंपड़ी जलने के बाद भी स्वयं पर नियंत्रण रखने वाला सूरदास कब और क्यों बिलख-बिलख कर रोने लगा ? इस घटना के माध्यम से मनुष्य के स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ?

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यह घटना यह दर्शाती है कि भले ही व्यक्ति अपने आंतरिक संघर्षों को दबाने की कोशिश करता है, लेकिन अपनी भावनाओं का प्रदर्शन भी जरूरी होता है।
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Solution and Explanation

‘सूरदास की झोंपड़ी’ पाठ में सूरदास की झोंपड़ी जलने के बाद, वह एक प्रकार से आत्म-नियंत्रण में रहता है, वह अपने भीतर उभरते हुए आक्रोश और वेदना को दबाने की कोशिश करता है। हालांकि सूरदास का आंतरिक संघर्ष बहुत गहरा होता है, लेकिन वह कुछ समय तक खुद को संभालता है। उसे इस घटना में न केवल अपनी खोई हुई सम्पत्ति का दुःख है, बल्कि यह उसके अस्तित्व की गहरी चोट भी है।
इससे पहले, सूरदास स्वयं को शांति से रखने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी भावनाएँ अधिक गहरी और तीव्र हो जाती हैं। जैसे ही वह अपने भीतर की पीड़ा को नियंत्रित नहीं कर पाता, वह बिलख-बिलख कर रोने लगता है। यह दृश्य इस बात को स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति जब अपने आंतरिक संघर्ष से जूझता है और उसे स्वीकार करता है, तो वह अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाता है।
इस घटना के माध्यम से यह पता चलता है कि मनुष्य के स्वभाव में भावनाओं का दबाव और संघर्ष के बीच संतुलन बनाए रखना एक जटिल प्रक्रिया है। भले ही वह बाहरी रूप से खुद को नियंत्रित करने की कोशिश करे, लेकिन अंदर की भावना जब बहुत प्रबल हो जाती है, तो वह आत्म-नियंत्रण टूट जाता है। यह घटना दिखाती है कि मानवता में कमजोरी और संवेदनशीलता भी है, जिसे छुपाने से अधिक, उसे व्यक्त करने की आवश्यकता होती है।
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