आधार:
जाति—धार्मिक/परंपरागत वैधता; वर्ग—बाज़ार/उत्पादन संबंध।
गतिशीलता:
जाति में वंश/पेशा विरासत; वर्ग में शिक्षा/रोज़गार से ऊपर-नीचे जाना संभव।
नियमन:
जाति भोजन/विवाह/स्पर्श नियम तय करती; वर्ग आवास, शिक्षा, राजनीति/खपत को आकार देता।
अंतरक्रिया:
भारतीय समाज में दोनों ओवरलैप; आर्थिक उन्नति के बावजूद जाति-कलंक रह सकता है—नीतियाँ द्विस्तरीय होनी चाहिए।