ईश्वर के अस्तित्व सम्बन्धी प्रमाण कौन-कौन से हैं?
Step 1: कार्य-कारण (न्याय).
जगत संगत प्रभाव; अनादि, सर्वज्ञ कारण (ईश्वर) के बिना सुव्यवस्था सम्भव नहीं—आयोजन/नियम के लिए बुद्धिमान निमित्त-कारण अपेक्षित।
Step 2: टेलीओलॉजी.
उद्देश्यपूर्णता, जैविक–भौतिक fine-tuning प्रकार्य-नियन्ता की ओर संकेत करती है।
Step 3: नैतिक-प्रमाण.
विवेक, कर्तव्य-बोध, न्याय-आकांक्षा—इनका परमाधार सर्वोच्च नैतिक सत्ता में तर्कसंगत प्रतीत होता है।
Step 4: ओण्टोलॉजिकल/अनुभव.
'परम सर्वोत्तम' की अवधारणा तात्त्विक रूप से अस्तित्व-निष्कर्ष तक ले जाती है; ध्यान/भक्ति में ईश्वरानुभव व्यक्त अनुभव-प्रमाण बनता है।
Step 5: आलोचना-सीमा.
प्रत्येक प्रमाण पर आपत्तियाँ हैं; समेकित रूप में ये प्रायिक/तार्किक बल देते हैं, निर्णायक गणितीय सिद्ध नहीं।
'प्रयोजनमूलक युक्ति' (Teleological / Pragmatic Argument) सम्बन्धित है—
निम्न में से किस युक्ति का कहना है कि ईश्वर का अस्तित्व, ईश्वर के विचार से अनिवार्यतः फलित होता है?
ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए देकार्त ने निम्न में से किस सिद्धान्त का प्रयोग किया है?
निम्न में से कौन 'समानान्तरवाद' (Psychophysical Parallelism) का समर्थक है?
पूर्व स्थापित सामंजस्य सिद्धान्त सम्बन्धित है—
Translate any five into English: 