Step 1: Differentiate \( f(x) \).
The given function is: \[ f(x) = x + \frac{1}{x}. \] Differentiate \( f(x) \) to find critical points: \[ f'(x) = 1 - \frac{1}{x^2}. \]
Step 2: Solve \( f'(x) = 0 \).
Set \( f'(x) = 0 \): \[ 1 - \frac{1}{x^2} = 0 \quad \Rightarrow \quad \frac{1}{x^2} = 1 \quad \Rightarrow \quad x^2 = 1. \] Thus, \( x = 1 \) and \( x = -1 \).
Step 3: Determine the nature of critical points.
Differentiate \( f'(x) \) to find \( f''(x) \): \[ f''(x) = \frac{2}{x^3}. \] - At \( x = 1 \): \[ f''(1) = \frac{2}{1^3} = 2 \quad (\text{positive, so } x = 1 \text{ is a local minimum}). \] - At \( x = -1 \): \[ f''(-1) = \frac{2}{(-1)^3} = -2 \quad (\text{negative, so } x = -1 \text{ is a local maximum}). \]
Step 4: Compute \( M \) and \( m \).
- At \( x = 1 \): \[ f(1) = 1 + \frac{1}{1} = 2 \quad (\text{local minimum } m). \] - At \( x = -1 \): \[ f(-1) = -1 + \frac{1}{-1} = -2 \quad (\text{local maximum } M). \]
Step 5: Compute \( M - m \).
\[ M - m = -2 - 2 = -4. \]
Conclusion:
The value of \( M - m \) is: \[ \boxed{-4}. \]
हमारी तथाकथित विकसित सभ्यता अपनी ही प्राचीन ज्ञान परंपरा को भूलकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हुए विनाश को रास्ता दे रही है। ‘अपना मालवा....’ पाठ के आधार पर लिखिए कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है।
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए : ‘‘कुटज के ये सुंदर फूल बहुत बुरे तो नहीं हैं । जो कालिदास के काम आया हो उसे ज़्यादा इज़्ज़त मिलनी चाहिए । मिली कम है । पर इज़्ज़त तो नसीब की बात है । रहीम को मैं बड़े आदर के साथ स्मरण करता हूँ । दरियादिल आदमी थे, पाया सो लुटाया । लेकिन दुनिया है कि मतलब से मतलब है, रस चूस लेती है, छिलका और गुठली फेंक देती है । सुना है, रस चूस लेने के बाद रहीम को भी फेंक दिया गया था । एक बादशाह ने आदर के साथ बुलाया, दूसरे ने फेंक दिया ! हुआ ही करता है । इससे रहीम का मोल घट नहीं जाता । उनकी फक्कड़ाना मस्ती कहीं गई नहीं । अच्छे-भले कद्रदान थे । लेकिन बड़े लोगों पर भी कभी-कभी ऐसी वितृष्णा सवार होती है कि गलती कर बैठते हैं । मन खराब रहा होगा, लोगों की बेरुखी और बेकददानी से मुरझा गए होंगे – ऐसी ही मनःस्थिति में उन्होंने बिचारे कुटज को भी एक चपत लगा दी ।’’
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
‘‘पुर्ज़े खोलकर फिर ठीक करना उतना कठिन काम नहीं है, लोग सीखते भी हैं, सिखाते भी हैं, अनाड़ी के हाथ में चाहे घड़ी मत दो पर जो घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास कर आया है उसे तो देखने दो । साथ ही यह भी समझा दो कि आपको स्वयं घड़ी देखना, साफ़ करना और सुधारना आता है कि नहीं । हमें तो धोखा होता है कि परदादा की घड़ी जेब में डाले फिरते हो, वह बंद हो गई है, तुम्हें न चाबी देना आता है न पुर्ज़े सुधारना तो भी दूसरों को हाथ नहीं लगाने देते इत्यादि ।’’
‘दूसरा देवदास’ पाठ में संभव ने मज़ाक-मज़ाक में अपना नाम ‘संभव देवदास’ क्यों कहा? इसमें कौन-सा साहित्यिक संकेत छिपा हुआ है?
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के आधार पर लिखिए कि विकास की आधुनिक परिकल्पना ने पर्यावरण विनाश की नींव रखी है।