एक सशक्त राष्ट्र की नींव तभी रखी जा सकती है जब उसके नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहें। नागरिक होना केवल एक पहचान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।
जिस प्रकार कोई परिवार अपने हर सदस्य से सहयोग की अपेक्षा करता है, उसी प्रकार राष्ट्र अपने नागरिकों से अपेक्षा करता है कि वे उसके प्रति समर्पण भाव रखें।
एक सजग नागरिक का पहला कर्तव्य है — कानून का पालन करना। अगर प्रत्येक नागरिक ट्रैफिक नियमों से लेकर सामाजिक आचरण तक हर नियम का पालन करे, तो अराजकता स्वतः समाप्त हो जाए।
दूसरा महत्वपूर्ण कर्तव्य है — स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण। हम जिस देश में रहते हैं, उसकी साफ-सफाई, प्रकृति की सुरक्षा और जलवायु संतुलन बनाए रखना हमारा दायित्व है, न कि केवल सरकार का काम।
मतदान करना न केवल एक अधिकार है, बल्कि यह नागरिक का नैतिक कर्तव्य भी है — जिससे वह देश की दिशा तय करने में सहभागी बनता है।
इसके अतिरिक्त, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, देशभक्ति की भावना और सरकारी संपत्ति का सम्मान — ये सभी नागरिक धर्म में आते हैं।
जब हम अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाते हैं, तभी हम एक जिम्मेदार नागरिक कहलाने के योग्य होते हैं। और जब हर नागरिक अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाता है, तब राष्ट्र विकास की ऊँचाइयों को छूता है।