Question:

‘दुख ही जीवन की कथा रही’ पंक्ति के आलोक में निराला जी के जीवन के दुखों का वर्णन कीजिए।

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निराला जी के दुख उनके जीवन की त्रासदी नहीं, बल्कि उनकी रचना की प्रेरणा बने — यही उन्हें महान बनाता है।
Updated On: Jul 18, 2025
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Solution and Explanation

निराला जी का जीवन निरंतर संघर्षों, पीड़ा और कष्टों से भरा हुआ था।
उनका पारिवारिक जीवन अत्यंत दुःखद रहा — उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्री और अन्य परिजनों को अल्पायु में खो दिया।
अत्यधिक निर्धनता और बेरोज़गारी के कारण उन्हें कई बार भूखे भी रहना पड़ा।
इतना ही नहीं, उन्होंने साहित्यिक जीवन में भी उपेक्षा और आलोचना का सामना किया।
आलोचकों ने उनके नवीन प्रयोगों का मज़ाक उड़ाया, जिससे वे मानसिक रूप से आहत हुए।
उनकी कविताओं में यह वेदना बार-बार उभरकर सामने आती है, विशेषकर 'सरोज-स्मृति' और 'कुकुरमुत्ता' जैसे संग्रहों में।
‘दुख ही जीवन की कथा रही’ उनकी आत्मस्वीकृति है, जिसमें वे अपने पूरे जीवन को एक वेदना-पथ के रूप में चित्रित करते हैं।
परंतु उन्होंने इन दुखों को अपनी रचना-शक्ति में बदल दिया और आधुनिक हिंदी कविता को एक नई दिशा दी।
उनकी पीड़ा ही उनकी सृजनात्मक ऊर्जा का आधार बनी।
इस प्रकार निराला जी के जीवन की कथा वास्तव में एक संघर्षशील, दुखमय लेकिन महान साहित्यिक यात्रा रही है।
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