Question:

दिये गये पद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

न मे रोचते भद्रं वः उलूकस्याभिषेचनम् ।

अक्रुद्धस्य मुखं पश्य कथं क्रुद्धो भविष्यति ।।

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इस श्लोक से यह समझ में आता है कि शांति और क्रोध की अभिव्यक्ति आपसी परस्पर संबंधों में संयम के साथ होती है।
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ: यह श्लोक संस्कृत साहित्य में 'काक उलूक' के संवाद से लिया गया है, जिसमें उलूक (न्यायशास्त्र में एक पक्षी) काक से अपने अभिषेक के तरीके के बारे में बात करता है। 

हिन्दी अनुवाद: हे भद्र जनों, मुझे उलूक का अभिषेक नहीं पसंद है। यदि कोई व्यक्ति क्रोधित न हो तो उसके मुख से क्रोध कैसे प्रकट होगा? यही कारण है कि एक व्यक्ति जो शांत और सजीव है, उसे कोई भी तरीका अपव्ययी या अनुकूल नहीं लग सकता।

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