'दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद 'तोप' कविता से उद्भूत इन पंक्तियों का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
यह पंक्तियाँ गहरे प्रतीकात्मक अर्थ रखती हैं। 'तोप' यहाँ शक्ति, अत्याचार या हिंसा का प्रतिनिधित्व करती है। चाहे वह शक्ति कितनी भी भयानक, विशाल या प्रभावशाली क्यों न हो, अंततः उसका अंत निश्चित है। हर हिंसात्मक या दबाव डालने वाली ताकत की एक सीमा होती है, और समय के साथ उसकी व्याप्ति समाप्त हो जाती है। यह जीवन का एक सत्य है कि अत्याचार स्थायी नहीं होते। समय के साथ सत्य और न्याय की जीत होती है, और दमनकारी शक्तियाँ दब जाती हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि निरंतर संघर्ष और विरोध से अन्याय और हिंसा का अंत अवश्य होगा। इसलिए हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए और सच्चाई के पक्ष में दृढ़ रहना चाहिए। अंततः, बड़ी से बड़ी तोप का मुँह भी बंद होना निश्चित है।
"ई काशी छोड़कर कहीं न जाएँ" बिस्मिल्ला खाँ के मन में काशी के प्रति विशेष अनुराग के क्या कारण थे ?
'संस्कृति' पाठ के आधार पर संस्कृति और असंस्कृति में अंतर बताइए।
'एक कहानी यह भी' की लेखिका के जीवन पर उनकी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का क्या प्रभाव पड़ा ?
मित्रों के साथ स्टेडियम में मैच देखने का आनंद — इस विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए।
मोबाइल फोन विहीन दुनिया — 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए :
आप अदिति / आदित्य हैं। आपकी दादीजी को खेलों में अत्यधिक रुचि है। ओलंपिक खेल-2024 में भारत के प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।