Question:

'चक्रपाणिः' का समास विग्रह है

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बहुव्रीहि समास का विग्रह अक्सर 'यस्य सः' (पुल्लिंग के लिए), 'यस्याः सा' (स्त्रीलिंग के लिए), या 'यस्य तत्' (नपुंसकलिंग के लिए) के साथ समाप्त होता है ताकि यह दिखाया जा सके कि यह एक बाह्य विषय को संदर्भित करता है।
Updated On: Nov 17, 2025
  • चक्रं पाणिः 
     

  • चक्रं पाणौ यस्य सः
  • चक्र पाणौ
  • इनमें से कोई नहीं
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collegedunia
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

चरण 1: प्रश्न को समझना:
प्रश्न 'चक्रपाणिः' शब्द के लिए समास विग्रह (समास का विच्छेद) पूछ रहा है।
चरण 2: मुख्य अवधारणा:
'चक्रपाणिः' एक बहुव्रीहि समास है। बहुव्रीहि समास में, न तो पहला पद और न ही दूसरा पद प्रधान होता है; इसके बजाय, पूरा शब्द किसी अन्य संज्ञा (आमतौर पर एक व्यक्ति) के लिए एक विशेषण के रूप में कार्य करता है। शब्द का शाब्दिक अर्थ है "चक्र-हाथ-में"। यह उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जिसके हाथ में चक्र है, अर्थात् भगवान विष्णु।
चरण 3: विस्तृत व्याख्या:
बहुव्रीहि समास का विग्रह इस बाह्य संदर्भ की व्याख्या करता है।
- 'चक्रम्' का अर्थ है 'चक्र' (प्रथमा/द्वितीया एकवचन में)।
- 'पाणौ' 'पाणि' (हाथ) का सप्तमी एकवचन है, जिसका अर्थ है 'हाथ में'।
- 'यस्य' का अर्थ है 'जिसके'।
- 'सः' का अर्थ है 'वह'।
इन्हें एक साथ रखने पर, 'चक्रं पाणौ यस्य सः' का अर्थ है "वह, जिसके हाथ में चक्र है"। यह 'चक्रपाणिः' (विष्णु का एक विशेषण) के अर्थ का सही वर्णन करता है।
चरण 4: अंतिम उत्तर:
सही समास विग्रह 'चक्रं पाणौ यस्य सः' है।
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