चरण 1: आन्दोलन की प्रकृति समझें। 
चिपको आन्दोलन 1970 के दशक में उत्तराखण्ड (तब उत्तर प्रदेश) के पहाड़ी क्षेत्रों में शुरू हुआ एक पर्यावरण–जन आन्दोलन था। इसका प्रतीकात्मक तरीका था—पेड़ों से चिपक जाना ताकि ठेकेदारों द्वारा कटाई रोकी जा सके। 
चरण 2: लक्ष्य और नेतृत्व। 
आन्दोलन का उद्देश्य वनों का संरक्षण और स्थानीय समुदायों—विशेषकर महिलाओं—की जीवन–निर्वाह, जल–मृदा संरक्षण, और आपदा-नियंत्रण से जुड़े हितों की रक्षा करना था। प्रमुख नामों में सुंदरलाल बहुगुणा और गौरा देवी (रैणी गाँव) शामिल हैं। 
चरण 3: विकल्पों का मूल्यांकन। 
यद्यपि वनों की रक्षा से जल–मृदा भी सुरक्षित होते हैं, पर आन्दोलन का प्रत्यक्ष और घोषित फोकस वृक्षों/वनों की कटाई रोकना था। इसलिए सही उत्तर विकल्प (1) है; जल, पशु या खनिज संरक्षण इसके प्राथमिक लक्ष्य नहीं थे।