Question:

भरद्वाजानुसारं के न शृणवन्ति, न च पश्यन्ति ?

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विशिष्ट प्राचीन ग्रंथों या ऋषियों से संबंधित प्रश्न मुश्किल हो सकते हैं। वे अक्सर निर्धारित पाठ्यक्रम की पाठ्यपुस्तकों से ज्ञान का परीक्षण करते हैं। यदि अनिश्चित हों, तो स्पष्ट रूप से गलत विकल्पों को हटाने का प्रयास करें।
Updated On: Nov 17, 2025
  • वृक्षाः
  • मानवाः
  • महाभूतानि
  • शब्दाः
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

चरण 1: प्रश्न को समझना:
प्रश्न पूछ रहा है कि ऋषि भरद्वाज के अनुसार कौन न तो सुनते हैं और न ही देखते हैं? यह प्रश्न संभवतः एक विशिष्ट दार्शनिक या शास्त्रीय संदर्भ से है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
यह प्रश्न एक विशिष्ट पाठ से लिया गया प्रतीत होता है जहाँ ऋषि भरद्वाज अस्तित्व और धारणा की प्रकृति पर चर्चा करते हैं।
कुछ दार्शनिक संदर्भों में, 'महाभूत' (महान तत्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) को उनकी मूल अवस्था में जड़ और सुनने और देखने जैसी इंद्रियों से रहित माना जाता है। वे भौतिक संसार के निर्माण खंड हैं लेकिन उनमें स्वयं चेतना या संवेदी अंग नहीं होते हैं।
जबकि कुछ शास्त्र (जैसे महाभारत में एक संवाद) उल्लेख करते हैं कि वृक्षों (वृक्षाः) में जीवन का एक रूप होता है और वे महसूस कर सकते हैं, यह प्रश्न पूछता है कि कौन न तो सुन सकता है और न ही देख सकता है, जिसके लिए 'महाभूतानि' कुछ संदर्भों में एक प्रशंसनीय दार्शनिक उत्तर है, जैसा कि उत्तर कुंजी द्वारा इंगित किया गया है।
चरण 3: अंतिम उत्तर:
इस प्रश्न के लिए संभावित स्रोत पाठ के संदर्भ के आधार पर, उत्तर 'महाभूतानि' है।
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