आर्थिक लाभ:
उदारीकरण से बाज़ार बड़े हुए; एफडीआई/एफपीआई ने पूँजी व तकनीक लाई, उत्पादनशीलता बढ़ी। प्रतिस्पर्धा नवाचार व कुशलता प्रोत्साहित करती है—ई-कॉमर्स, आईटी सेवाएँ, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में उछाल दिखा।
उपभोक्ता/कौशल प्रभाव:
ग्लोबल ब्रांड व मानक गुणवत्ता बढ़ाते हैं; अंतरराष्ट्रीय सहयोग से कौशल-मानक, प्रमाणन और रोज़गार-योग्यता सुधरती है।
ज्ञान/संस्कृति:
शैक्षणिक साझेदारियाँ, छात्र-विनिमय, ओपन साइंस व डिजिटल मंच विचारों का तीव्र प्रसार करते हैं।
समावेशन की शर्त:
लाभों के न्यायसंगत वितरण हेतु सामाजिक सुरक्षा, पुन:कौशल, एमएसएमई सहायता, क्षेत्रीय संतुलन और पर्यावरणीय सुरक्षा आवश्यक हैं—तभी सकारात्मक असर व्यापक बनता है।