Question:

अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नगद्यांश:हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है, हम लक्ष्य-भ्रष्ट से भी पीड़ित हैं। विकास के विराट उद्देश्य पीछे हट रहे हैं, हम झूठी छवि के तात्कालिक लक्ष्यों के पीछे चल रहे हैं। नैतिक मानदंड पीछे हट रहे हैं। व्यक्ति केन्द्रित प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं। हमारी संस्कृति समाज के जीवन को हिला रही है।आधारित प्रश्न:

(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।

(ii) उपभोगता संस्कृति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(iii) हमारे लक्ष्य भ्रम से पीड़ित क्यों हैं?

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शीर्षक का चयन करते समय गद्यांश के मुख्य विषय पर ध्यान देना आवश्यक है।
यह अवधारणा उपभोक्तावादी प्रवृत्तियों की ओर इशारा करती है जहाँ भौतिक चीज़ों को प्राथमिकता दी जाती है।
समाज में नैतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन से लक्ष्य भ्रम की समस्या को दूर किया जा सकता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक:
**संस्कृति का ह्रास और नैतिक पतन**
(ii) उपभोगता संस्कृति का अर्थ:
उपभोगता संस्कृति का तात्पर्य एक ऐसी जीवन शैली से है जहाँ संपत्ति, विलासिता और भौतिक वस्तुओं का अधिक महत्व दिया जाता है। इसमें नैतिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व की उपेक्षा की जाती है।
(iii) हमारे लक्ष्य भ्रम से पीड़ित क्यों हैं?
हमारे लक्ष्य भ्रम से पीड़ित हैं क्योंकि लोग तात्कालिक लाभ और भौतिक संपत्ति को अधिक महत्व दे रहे हैं, जबकि नैतिक मूल्यों और दीर्घकालिक उद्देश्यों की अनदेखी कर रहे हैं।
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