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अनुप्रास अथवा अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

'अनुप्रास' और 'अतिशयोक्ति' दोनों ही अलंकार हैं जो काव्यशास्त्र में विशेष प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। अनुप्रास अलंकार: अनुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी काव्य में शब्दों या ध्वनियों का पुनरावृत्ति होती है, विशेष रूप से समान ध्वनि वाले वर्णों का प्रयोग। यह अलंकार काव्य को लयबद्ध और संगीतमय बनाता है, और इसका प्रभाव पाठक पर विशेष रूप से गहरा होता है। उदाहरण: "प्यारे पंखों वाले पक्षी पर, प्रभात प्रकटित पवन प्रगटते हैं।" इस वाक्य में 'प' ध्वनि की पुनरावृत्ति से अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है। अतिशयोक्ति अलंकार: अतिशयोक्ति अलंकार तब होता है जब किसी गुण, कार्य या विशेषता का अत्यधिक या अतिशयोक्तिपूर्ण रूप में वर्णन किया जाता है, जो वास्तविकता से कहीं अधिक होता है। यह अलंकार किसी चीज़ की महिमा, बल, या शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: "वह एक साथ हजारों काम कर सकता है!" यहां पर 'हजारों काम' का अतिशयोक्ति के रूप में उपयोग किया गया है, क्योंकि एक व्यक्ति एक साथ इतने काम नहीं कर सकता।
अनुप्रास अलंकार का उदाहरण: "प्यारे पंखों वाले पक्षी पर, प्रभात प्रकटित पवन प्रगटते हैं।"
अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण: "वह एक साथ हजारों काम कर सकता है!"
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