Question:

अन्तः-क्रियावाद (Interactionism) का सिद्धान्त दिया गया है— 
 

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त्रयी को साथ याद करें—देकार्त = अन्तः-क्रिया, स्पिनोज़ा = समानान्तरवाद, लाइबनिज = पूर्व-स्थापित सामंजस्य (घड़ी-उपमा)।
  • कान्ट द्वारा
  • देकार्त द्वारा
  • स्पिनोज़ा द्वारा
  • लॉक द्वारा
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collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is B

Solution and Explanation

चरण 1: सिद्धान्त की पहचान।
अन्तः-क्रियावाद वह दृष्टि है जिसके अनुसार मन (चेतन/अविस्तारित पदार्थ) और शरीर (विस्तारित भौतिक पदार्थ) परस्पर कारण-कार्य सम्बन्ध में प्रभावित करते हैं।
चरण 2: देकार्त का प्रतिपादन।
रेने देकार्त ने द्वैतवाद (Substance Dualism) दिया—दो स्वतंत्र पदार्थ: res cogitans (सोचने वाला) और res extensa (विस्तारित)। उसने मन–शरीर की पारस्परिक क्रिया का जैव-स्थान पीनियल ग्रन्थि (pineal gland) बताया, जहाँ मानसिक संकल्पना शरीर की गतियों पर, और शारीरिक अवस्थाएँ मानसिक अनुभव पर कारणात्मक असर डालती हैं।
चरण 3: विकल्पों का उन्मूलन।
स्पिनोज़ासमानान्तरवाद (एक पदार्थ, विचार/विस्तार दो गुण; कोई क्रॉस-कारणता नहीं)। लॉक—अनुभववादी; मन–शरीर पर अलग अन्तःक्रिया-तत्वज्ञान नहीं। कान्ट—आलोचनात्मक दर्शन; मन-शरीर अन्तःक्रिया का सैद्धान्तिक प्रतिपादन नहीं करता। अतः अन्तः-क्रियावाद का सही श्रेय देकार्त को है।
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