(A). Food Chain: Plants → Deer → Lion.
- The second trophic level (deer) is the primary consumer.
Impact:
• On the first trophic level (plants): Their population will increase due to reduced grazing pressure.
• On the third trophic level (lion): Their population will decline due to the absence of food.
In a food web, the impact on the third trophic level may be less severe because the lion can depend on other prey as a food source.
(B). Gas ‘X’ is ozone.
- Function: It protects life on Earth by absorbing harmful ultraviolet (UV) radiation.
- Chemical causing depletion: Chlorofluorocarbons (CFCs).
- Measures: The Montreal Protocol was adopted to phase out the production and use of ozone-depleting substances like CFCs.
List - I | List – II | ||
A. | Migratory flamingoes and resident fish in South American lakes | i. | Interference competition |
B. | Abingdon tortoise became extinct after introduction of goats in their habitat | ii. | Competitive release |
C. | Chathamalus expands its distributional range in the absence of Balanus | iii. | Resource Partitioning |
D. | Five closely related species of Warblers feeding in different locations on same tree | iv. | Interspecific competition |
List - I | List – II | ||
A. | Predator | i. | Ophrys |
B. | Mutualism | ii. | Pisaster |
C. | Parasitism | iii. | Female wasp and fig |
D. | Sexual deceit | iv. | Plasmodium |
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए :
गद्यांश : ग्वालियर से बंबई की दरी ने संतान को काफी क ू ुछ सिखा दिया । वर्षों में मेरे आने-जाने का घर, पैदल र्षो चलने की दरी तय करना था । पैर के , पीठ के और आत्मा के अन ू ुभव थे । अब नहीं संतान के किस्सों वाली-बीवी वाली गली में जाना । संतान ने न जानेकितनी पतंगें –गुड्डियाँ से उनका बचपन लिया है । उनमें से कुछ कहानियाँ छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके उनके भीतर कहीं–बड़ी उधेड़बुन है । उनकेलिखने–सिलने की जिम्मेदारी उन्हीं के मन ने थाम ली है । वे कहीं–कहीं आकर स्थिर हो जाते हैं। और कभी न आने–जाने और अधिक आने–जाने के बीच । लेकिन अधिक आने–जाने में भी परेशानी ही होती है । किसी किसी चीज़ सेनिराश होकर ही सही । उसी में लाइब्रेरी में मुकम्मल कहानी या प्रेम की गालिब सी तलाश लगने लगती है । रोज–रोज की परेशानियों में अपने कमरे में रहना एक सहज अनुभव और आत्मीयता का घर, एक छोटा सुरक्षित स्थान होता है । वहाँ की दसरी जगह रख दी गई है । उनके ू आने की सिखाई की चीजें कब सेसिखाने जाने लगी हैं। खिड़की के बाहर अब दोनों कमल पत्र–पत्र उदासी और उदासी के दृश्य हैं।
‘रिश्तों की पुर्नियता श्रेष्ठ है।’ ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गद्यांश : हर्ल–ऑर्गैनिक (जैविक) आहार ऐसे आहार होते हैंजो प्राकृतिक रूप से शुद्ध और ताज़ा होते हैंऔर स्वास्थ्य केलिए लाभकारी हैं। परंपरागत व्यंजन, पेय पदार्थ, फल–सब्जियाँ और मसाले सदा से हमारे भोजन का महत्वपर्णू र्णहिस्सा रहे हैं। परंपरागत और स्वदेशी भोजन एवं पेय पदार्थ पारंपरिक फास्टफूड एवं स्वाद युक्त कोल्ड ड्रि ंक्स के शानदार विकल्प हैं। सरकार, व्यापारियों और दुकानदारों को नया कुछ भी नहीं करना है । बस उन्हें पहले से स्थापित भोजनालयों, दुकानों एवं शैक्षणिक संस्थानों, कम्पनी कार्यालयों की कैंटीनों, मॉल्स तक इनको पहुँचाना है । परंपरागत खाद्य पदार्थों के साथ ऑ र्थो र्गैनिक खाद्य एवं पेय पदार्थों की र्थो बिक्री केलिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए ।ऑर्गैनिक फलोंऔर सब्जियों के ताजे जस, स ू प, शरबत, द ू ध, छाछ, लस्सी, ठंडाई, ह ू र्बल चाय, जो, गेहँ, मक्का या बाजरे की बाखरी, ू नींबूकी शिकं जी के साथ ऑर्गैनिक फल भी उपयोगताओं को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। साधारण ढाबों से लेकर पाँच सितारा होटलों तक शरबत, नारियल पानी, जस का ज ू स, तरब ू ज का ज ू स, स ू प और ू छाछ जैसे पेय पदार्थों को उपलब्ध कराकर इनकी उपयोगताओं में लोक र्थो प्रिय बनाया जा सकता है । एक तरफ हर्बल फूड हॉट मटका जहाँ ऑर्गैनिक हरी सब्जियाँ, दालें एवंमिलेट्स सेनिर्मित भोजन में उपलब्ध कराया जा सकता है । अंकुरित दालें , अनाज, जो, गेहँ, मक्का, मक्की की रोटी आ ू दि मानव स्वास्थ्य को भी बचाया जा सकता है ।
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपर्वू र्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गद्यांश : पिता हमेशा रूक्ष नहीं होता, सदैव कठोर व्यवहार से घर को संचालित नहीं करता क्योंकि वह भीतर से सौम्य प्रकृति का होता है । पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता, उसे महससू किया जा सकता है । बाहर से कठोर दिखाई देने वाला पिता भावनाओं में अत्यंत भावुक होता है । जिस घर मेंपिता बच्चों के साथ बातचीत करता है, हँसता–बोलता है, उनके सभी क्रियाकलापों में सहयोग करता है, उसी घर में बच्चों का मानसिक और नैतिक विकास उचित रूप से हो पाता है । अच्छी और संस्कृत संतति वह माता–पिता की सम्मिलित भमिू का सेमिलती है । बच्चों के पालन–पोषण में दोनों समान भमिू का निभाते हैं। आज का समय कुछ दृष्टि से सकारात्मक है, जहाँ माता–पिता दोनों कामकाजी हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में घर के साथ दफ्तर भी सँभालना होता है । ऐसे में के वल माँ को भरोसे पर और बच्चों को छोड़ना नहीं सही है । दोनों के सहयोग से ही घर को सँभाल पाना संभव होता है । पिता का दायित्व आज दफ्तर की सीमा सेनिकलकर घर तक आ गया है । बच्चों को सुबह उठाकर स्कूल भेजने से लेकर होमवर्क कराने तक सभी कार्यों में उसकी भागीदारी आज अपे र्यो क्षित है । आज नई पीढ़ी के युवा घर में इन जिम्मेदारियों को बड़ी गंभीरता सेनिभाते देखे जा सकते हैं। वर्तमान समय में पढ़े–लिखे कामकाजी–एकल परिवार में व्यक्ति का जीवन दबाव में ही दिखता है, चाहे वह पढ़ाई का हो, करियर का हो अथवा कार्यक्षेत्र में हो । परिवार का खुशनुमा और परस्पर सहयोगपर्णू र्णवातावरण उस दबाव से बाहर निकलने में सहायक बनता है ।