स्पष्टीकरण:
तींताल की दूसरी ताली सातवीं मात्रा पर होती है।
- तींताल भारतीय शास्त्रीय संगीत में सबसे प्रचलित तालों में से एक है, जिसमें कुल 16 मात्राएँ होती हैं। इसकी विशेषता यह है कि इसमें लय और ताली का सामंजस्य अत्यधिक स्पष्ट होता है।
- इस ताल की संरचना 4 विभागों में बाँटी जाती है, जिनमें प्रत्येक विभाग में 4 मात्राएँ होती हैं।
- तींताल का प्रमुख तत्व सम (पहली मात्रा) पर ताली होती है और इसके बाद के प्रत्येक ताली की स्थिति दूसरे, चौथे, आठवें, और दसवें स्थान पर होती है।
- विशेष रूप से, तींताल की दूसरी ताली सातवीं मात्रा पर पड़ती है, जो ताल की लय को स्थिर और संतुलित बनाए रखती है।
- यह ताल विशेष रूप से ख्याल गायन, वाद्य संगीत और नृत्य में प्रयुक्त होता है।
इस प्रकार, तींताल में दूसरी ताली सातवीं मात्रा पर होती है, जो ताल की गति और लयबद्धता को बनाए रखता है।