स्पष्टीकरण:
'संगीत रत्नाकर' ग्रन्थ के लेखक महर्षि भरत हैं, जिन्होंने भारतीय संगीत की संरचना पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
- महर्षि भरत भारतीय संगीत के प्रसिद्ध ग्रंथकार और संगीतशास्त्र के महान ज्ञाता थे। उनका योगदान भारतीय कला, संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
- 'संगीत रत्नाकर' महर्षि भरत का प्रमुख काव्य और ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने संगीत के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी है। इस ग्रंथ में ताल, राग, स्वर, संगीत की लय और नृत्य के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।
- 'संगीत रत्नाकर' को भारतीय संगीत का महान ग्रंथ माना जाता है, जो शास्त्रीय संगीत के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ। इस ग्रंथ में महर्षि भरत ने संगीत के नियमों और सिद्धांतों को संकलित किया, जिससे संगीतज्ञों और शोधकर्ताओं को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
- इसके अतिरिक्त, महर्षि भरत ने नाट्यशास्त्र पर भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, और उनके कार्य ने भारतीय नृत्य और संगीत के विकास में मूलभूत भूमिका निभाई।
इस प्रकार, 'संगीत रत्नाकर' ग्रन्थ के लेखक महर्षि भरत हैं, जिन्होंने भारतीय संगीत की संरचना पर महत्वपूर्ण कार्य किया और शास्त्रीय संगीत के अध्ययन में एक आधारभूत ग्रंथ प्रस्तुत किया।