समूह की पहचान चार तत्त्वों से होती है: (1) अन्तःक्रिया—सदस्यों का नियमित संवाद और कार्य, (2) साझा लक्ष्य—एक उद्देश्य की दिशा, (3) भूमिकाएँ–मानक—व्यवहार के नियम और जिम्मेदारियाँ, (4) समूह–पहचान—``हम बनाम वे'' की भावनात्मक पहचान। समूह औपचारिक (कक्षा, टीम) या अनौपचारिक (मित्र–मंडली) हो सकते हैं। समूह प्रक्रियाएँ—नेतृत्व, निर्णय, संघर्ष और समूह–सोच—काम की गुणवत्ता और संतोष को प्रभावित करती हैं। मज़बूत समूह में स्पष्ट लक्ष्य, खुला संचार और न्यायसंगत भूमिका–वितरण के साथ उच्च सम्बद्धता पाई जाती है।