Question:

समीक्षात्मक वस्तुवाद को कहते हैं— 
 

Show Hint

सूत्र: Critical Realism = Realism (वस्तु स्वतंत्र) + Critical Epistemology (ज्ञान मध्यस्थित)ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद, न कि तत्त्वमीमांसीय।
  • ज्ञानमीमांसीय एकवाद
  • ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद
  • तत्त्वमीमांसीय द्वैतवाद
  • इनमें से कोई नहीं
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is B

Solution and Explanation

चरण 1: शब्दार्थ और मत।
समीक्षात्मक वस्तुवाद या Critical Realism वह दृष्टि है जो बाह्य जगत को यथार्थ, मन से स्वतंत्र मानती है, पर ज्ञान-प्रक्रिया को मध्यस्थित और समालोचनात्मक समझती है। इसलिए यह ज्ञाता और ज्ञेय के बीच एपिस्टेमिक दूरी मानकर चलता है—यही ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद है। वस्तु वास्तविक है, किंतु उसका प्रत्यक्ष हमें संवेदना, संकल्पना, भाषा, प्रतिरूपों के माध्यम से मिलता है; अतः ज्ञान सिद्धांती/व्याख्यापरक होता है, सीधे-सीधे वस्तु-स्वरूप नहीं।
चरण 2: अन्य मतों से भेद।
साधारण/भोला वस्तुवाद तत्काल प्रत्यक्ष को ही वस्तु-समान मान लेता है; आदर्शवाद वस्तु को चेतना-निर्भर कह देता है। समीक्षात्मक वस्तुवाद इन दोनों के मध्य—वस्तु तो स्वतंत्र है, पर ज्ञान उसकी आलोचनात्मक व्याख्या है, इसलिए त्रुटिसंभावी और सुधारणीय। यही कारण है कि इसे ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद कहा जाता है; जबकि तत्त्वमीमांसीय द्वैतवाद पदार्थ-स्तर पर दो स्वतंत्र तत्त्व (जैसे मन–पदार्थ) ठहराता है, जो यहाँ आशय नहीं।
निष्कर्ष:
सही विकल्प ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद है; समीक्षात्मक वस्तुवाद में ज्ञाता–ज्ञेय का ज्ञान-स्तरीय द्वैत माना जाता है, पर वस्तु की यथार्थता भी स्वीकार होती है।
Was this answer helpful?
0
0