Question:

प्रहरति यदि युद्धे मारुतो भीमरूपी प्रहरति यदि साक्षात्पार्थरूपेण शक्रः । परुषवचनदक्षः त्ववचोभिर्न दास्ये तृणमपि पितृभुक्ते वीर्यगुप्ते स्वराज्ये ।

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यह श्लोक राष्ट्र और सम्मान की रक्षा के प्रति अडिग संकल्प को दर्शाता है, जिसमें यह संदेश निहित है कि स्वाभिमान से प्राप्त धरोहर को केवल शब्दों के प्रभाव में आकर नहीं त्यागना चाहिए।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

यदि युद्ध में स्वयं वायुदेव के पुत्र भीमसेन प्रहार करें या स्वयं देवराज इन्द्र अर्जुन के रूप में आकर मुझ पर आघात करें, तब भी मैं अपने पितरों द्वारा उपभुक्त और पराक्रम से सुरक्षित स्वराज्य का एक तिनका भी कठोर वचनों के प्रभाव से किसी को नहीं दूँगा।
यह श्लोक स्वाभिमान और राष्ट्र प्रेम को दर्शाता है। वक्ता यह स्पष्ट कर रहा है कि चाहे कितने भी बलवान योद्धा उसे पराजित करने का प्रयास करें, वह अपने पितृ-परंपरा से प्राप्त और वीरता से सुरक्षित राज्य को केवल वचनों के आधार पर नहीं त्यागेगा। यह आत्मसम्मान और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।
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