निम्नलिखित में से ‘प्र’ उपसर्ग से निर्मित शब्द नहीं हैं –
(A) प्रकाश
(B) प्रतिकूल
(C) प्रसिद्ध
(D) प्रबल
(E) प्रबन्ध
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनें –
'अपना उल्लू सीधा करना’ मुहावरे का अर्थ है –
‘अपराधी सदैव सशंकित रहता है।’ — इस अर्थ के लिए इनमें से कौन-सी लोकोक्ति उपयुक्त है?
इनमें से कौन-सा शब्द ‘ई’ प्रत्यय से निर्मित नहीं है –
(A) खुशाली
(B) हरियाली
(C) सरसरी
(D) हलवाई
(E) झमाझमई
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनें –
निम्नलिखित शब्दों में से गुणवाचक विशेषण का उदाहरण नहीं है –
(A) वर्तमान
(B) भारतीय
(C) सुहावन
(D) तीसरा
(E) हरा
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनें –
सूनी जगह में भय लगता ही है। वाक्य में विशेष्य की पहचान कीजिए –
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है। यह जीवन के कठिन समय में चुनौतियों का सामना करने का मार्ग प्रशस्त करती है। शिक्षा-प्राप्ति के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है। शिक्षा जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसर के लिए प्रेरित बनाती है। व्यक्ति के जीवन को बढ़ाने के लिए सरकारें कई बहुत से योजनाओं और अवसरों का संचालन करती रही हैं।
शिक्षा मनुष्य को समाज में समानता का अधिकार दिलाने का माध्यम है। जीवन के विकास की ओर बढ़ा देती है। आज के वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में शिक्षा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह व्यक्ति को जीवन में बहुत सारी सुविधाएँ प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करती है। शिक्षा का उद्देश्य अब केवल रोजगार प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए भी आवश्यक है।
आज का विद्यार्थी शिक्षा के माध्यम से समाज को जोड़ने की कड़ी बन सकता है। शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है, व्यक्ति को समय के साथ चलने और आगे बढ़ने में मदद करती है। यह व्यक्ति को अनुशासन, परिश्रम, धैर्य और शिक्षा जैसे मूल्य सिखाती है। शिक्षा व्यक्ति को समाज के लिए उपयोगी बनाती है और जीवन में अनेक छोटे-बड़े कार्यों में विभिन्न कौशलों को विकसित करती है। यही कारण है कि आज प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करना चाहता है और समाज में दृढ़ता प्राप्त कर सही मार्ग पर खड़ा हो सकता है।
बार-बार आती है मुखाकृति मधुर, याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मधुर खुशी मेरी।
चिंता रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्बंध स्वच्छंद।
कैसे भुला जा सकता है बचपन का अद्भुत आनंद।
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था, छुआ-छूत किसे कहते?
बनी हुई थी वहीं झोपड़ी और सीपियों से नावें।
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती सी आँसू, चुपचाप बहा जाते थे।
वह सुख जो साधारण जीवन छोड़कर महत्वाकांक्षाएँ बड़ी हुईं।
टूट गईं कुछ खो गईं हुई-सी दौड़-धूप घर खड़ी हुईं।
‘वत्सल’ शब्द का एक अर्थ नहीं है –
‘वर’ शब्द का समानार्थी नहीं है –