Question:

'फफूंदी' क्या है?

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फफूंदी से बचाव के लिए घरों में उचित वेंटिलेशन और गीली सतहों की सफाई जरूरी है।
  • बैक्टीरिया का एक प्रकार
  • एक प्रकार की बीमारी
  • एक प्रकार का कवक
  • एक प्रकार का विषाणु
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

फफूंदी एक प्रकार का कवक (fungus) है, जो विभिन्न प्रकार के जीवों, पदार्थों और सतहों पर विकसित होता है। यह अक्सर गीले, नम और गर्म स्थानों में अधिक पनपता है, क्योंकि ऐसे स्थानों पर उसे अपना विकास और प्रजनन करने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है। फफूंदी का विकास तब होता है जब हवा में मौजूद कवक बीजाणु (spores) किसी उपयुक्त सतह या पदार्थ पर बैठकर अंकुरित होते हैं। फफूंदी की संरचना में मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं:
कवक बीजाणु (Spores): फफूंदी के बीजाणु सूक्ष्मजीव होते हैं, जो हवा, पानी, और अन्य माध्यमों से फैलते हैं। जब ये बीजाणु उपयुक्त वातावरण (जैसे नमी और गर्मी) पाते हैं, तो वे अंकुरित होते हैं और नए कवक का निर्माण करते हैं।
हाइफ (Hyphae): फफूंदी के बीजाणु अंकुरित होने के बाद हाइफ नामक तंतुओं का निर्माण करते हैं। हाइफ छोटी, लचीली संरचनाएँ होती हैं जो कवक के पूरे जाल को बनाती हैं। इन हाइफों के माध्यम से कवक अपने आसपास के पदार्थों को अवशोषित करता है।
स्पोरांगिया (Sporangia): ये फफूंदी के बीजाणुओं के भंडारण के स्थान होते हैं। स्पोरांगिया से बीजाणु फैलते हैं और नए स्थानों पर उगने के लिए तैयार होते हैं। फफूंदी का विकास और इसका प्रभाव कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है:
पौधों पर फफूंदी का प्रभाव: फफूंदी पौधों पर विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न कर सकती है, जैसे ब्लाइट (blight) और मिल्ड्यू (mildew)। यह पौधों की पत्तियों, तनों और जड़ों को नुकसान पहुँचाती है, जिससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और उत्पादन कम हो सकता है।
खाद्य पदार्थों पर फफूंदी का प्रभाव: फफूंदी खाद्य पदार्थों में भी उग सकती है, जैसे रोटी, फल, और सब्जियाँ। यह खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को घटित करती है, और इनकी उपयुक्तता समाप्त कर सकती है। फफूंदी से उत्पन्न होने वाले कुछ विषैले पदार्थ (जैसे अफ्लाटॉक्सिन) मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं और खाद्य विषाक्तता (food poisoning) का कारण बन सकते हैं।
सामग्री पर फफूंदी का प्रभाव: फफूंदी विभिन्न सामग्रियों पर भी विकास कर सकती है, जैसे लकड़ी, कपड़े, और प्लास्टिक। यह सामग्री को कमजोर कर सकती है और उनका उपयोग करने लायक नहीं छोड़ सकती है। फफूंदी के बढ़ने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
नम वातावरण (Moisture): फफूंदी की वृद्धि के लिए नम वातावरण सबसे उपयुक्त है। पानी या उच्च आर्द्रता वाली स्थितियाँ फफूंदी के बीजाणुओं के अंकुरण को प्रेरित करती हैं।
गर्मी (Heat): गर्म तापमान भी फफूंदी के विकास के लिए एक अनुकूल कारक है। यह सामान्यतः 20°C से 30°C के तापमान में तेजी से फैलती है।
कच्ची और अपवित्र सतहें (Organic and Contaminated Surfaces): फफूंदी उन सतहों पर पनपने के लिए उपयुक्त होती है जिनमें जैविक पदार्थ होते हैं, जैसे भोजन, लकड़ी, और पुराने कपड़े। फफूंदी से बचने और इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
स्वच्छता बनाए रखना (Maintaining Cleanliness): घर, कार्यालय और अन्य स्थानों की नियमित सफाई करना महत्वपूर्ण है। गीली और नमी वाली जगहों पर सफाई और हवा का संचलन सुनिश्चित करना चाहिए।
वेंटिलेशन (Ventilation): सही वेंटिलेशन से नमी को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे फफूंदी के बढ़ने का जोखिम कम होता है।
पोषणात्मक निवारण (Proper Food Storage): खाद्य पदार्थों को ठंडे और सूखे स्थान पर रखना चाहिए ताकि उनमें फफूंदी न लगे। विशेष रूप से रोटियाँ, फल, और सब्जियाँ जल्दी खराब हो सकती हैं।
नमीयुक्त पदार्थों को सुखाना (Drying Damp Materials): यदि किसी स्थान पर नमी है, तो उस जगह को सूखा और हवादार रखना चाहिए ताकि फफूंदी न पनपे। फफूंदी का स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके बीजाणु वायुमंडल में फैलने पर अस्थमा, एलर्जी, और अन्य श्वसन समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ प्रकार की फफूंदी, जैसे Aspergillus और Penicillium, विषैले पदार्थों (मायकोटॉक्सिन) का उत्पादन कर सकती हैं, जो मानव शरीर के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इस प्रकार, फफूंदी एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समस्या है, जिसका नियंत्रण सही समय पर और उचित उपायों से किया जा सकता है। इसकी प्रभावी रोकथाम के लिए सफाई, तापमान नियंत्रण और उचित भंडारण की आवश्यकता है।
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