काउंसलिंग का केन्द्र ``सुनना–समझना'' है। सक्रिय सुनने में नेत्र–सम्पर्क, न्यूनतम प्रोत्साहन, स्पष्टता–प्रश्न और सारांश शामिल हैं। तदनुभूति क्लाइंट को ``समझा गया'' महसूस कराती है और परिवर्तन हेतु सुरक्षित वातावरण बनाती है। खुले प्रश्न कहानी खोलते हैं, बंद प्रश्न स्पष्टता देते हैं। प्रामाणिकता और बिना शर्त स्वीकार (UPR) सम्बन्ध को मज़बूत करते हैं। सीमाएँ, गोपनीयता और नैतिकता पेशे का अनिवार्य भाग हैं। ये कौशल समस्या–समाधान, विकल्प–निर्माण और आत्म–अन्वेषण को सम्भव बनाते हैं तथा उपचार की दिशा और गति को बनाए रखते हैं।