चरण 1: अवधारणा। 
पंचायती राज भारतीय संविधान के 73वें संशोधन (भाग-IX) के तहत स्वशासन की त्रि-स्तरीय व्यवस्था है—ग्राम, मध्य (पंचायत समिति/ब्लॉक) और जिला स्तर। इसके मूल में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण का सिद्धांत है, अर्थात निर्णय लेने की शक्ति और संसाधनों को जनता के सबसे निकट के स्तर तक पहुँचाना। 
चरण 2: प्रभाव/लक्ष्य। 
विकेन्द्रीकरण के माध्यम से स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनती हैं, भागीदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है, आरक्षण से दलितों, आदिवासियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है तथा ग्राम सभा द्वारा सामाजिक लेखा परीक्षा होती है। ये सभी परिणाम हैं, पर मूल उद्देश्य—लोकतांत्रिक सत्ता और संसाधनों का विकेन्द्रीकरण—ही केंद्र में है। 
निष्कर्ष: अतः सही उत्तर लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण (विकल्प (3)) है; अन्य विकल्प इस उद्देश्य के परिणाम या तत्व हैं, मूल नहीं।