चरण 1: ऐतिहासिक आरम्भ। 
भारत में स्कूलों में मुफ़्त पका हुआ भोजन देने की पहल का अग्रदूत तमिलनाडु रहा। 1950–60 के दशकों में कुछ नगरपालिकाओं द्वारा शुरू प्रयासों को 1962 में मुख्यमंत्री के. कामराज ने प्राथमिक विद्यालयों में विस्तार दिया; 1982 में एम.जी. रामचन्द्रन सरकार ने इसे राज्यभर में सार्वभौमिक किया। लक्ष्य—नामांकन बढ़ाना, उपस्थिति सुधारना और बाल अपोषण घटाना। 
चरण 2: राष्ट्रीय रूपांतरण। 
तमिलनाडु के अनुभव ने केंद्र सरकार को प्रेरित किया; 1995 में राष्ट्रीय कार्यक्रम (Mid-Day Meal Scheme) प्रारंभ हुआ और 2001 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश से कई राज्यों में पका हुआ भोजन अनिवार्य किया गया। 
निष्कर्ष: इस योजना का प्रारंभिक व व्यापक मॉडल तमिलनाडु में विकसित हुआ—अतः सही विकल्प (4)।